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श्री गंगानगर

Mother Day 2019: बेटे की जिंदगी के लिए मां ने सबकुछ लगाया दांव पर, फिर किडनी देकर बोली- बेटे से बढ़कर कुछ नहीं

एक मिसाल कायम की हैै जैतसर कस्बे के वार्ड पांच निवासी पचास वर्षीय एक मां रोशनी देवी धानका ने, जिसने करीब दो साल से बीमार चल रहे अपने बेटे महेन्द्रकुमार की जान बचाने के लिए ना केवल अपनी पैतृक कृषि भूमि बेच दी बल्कि बेटे को नया जीवन देने के लिए स्वयं की किडनी भी दान कर दी।

श्री गंगानगरMay 12, 2019 / 06:03 pm

abdul bari

Mother Day 2019 special story

Mother Day 2019: बेटे की जिंदगी के लिए मां ने सबकुछ लगाया दांव पर, फिर किडनी देकर बोली- बेटे से बढ़कर कुछ नहीं

रविकुमार शर्मा/जैतसर/श्रीगंगानगर.

कहते हैं कि प्रत्येक माता-पिता अपनी संतान को कामयाब करने एवं उनका सुखद भविष्य तैयार करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। फिर चाहे वह धन-दौलत हो या शरीर। ऐसी ही एक मिसाल कायम की हैै जैतसर कस्बे के वार्ड पांच निवासी पचास वर्षीय एक मां ( Mother Day 2019 ) रोशनी देवी धानका ने, जिसने करीब दो साल से बीमार चल रहे अपने बेटे महेन्द्रकुमार की जान बचाने के लिए ना केवल अपनी पैतृक कृषि भूमि बेच दी बल्कि बेटे को नया जीवन देने के लिए स्वयं की किडनी भी दान कर दी। बेटे के उपचार पर लाखों रुपये खर्च कर देने व स्वयं की किडनी तक दान कर देने के बाद भी मां अपने बीमार बेटे की सेवा घर के किसी अन्य सदस्य के भरोसे नहीं छोडक़र स्वयं ही उसकी देखभाल कर रही है। करीब सालभर तक जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में चले उपचार के बाद अब बीमार पुत्र महेन्द्रकुमार को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। बावजूद इसके माँ का वात्सल्य है कि वह दिनभर अपने बेटे के पास ही रहती है।
उपचार के लिए बेची जमीन-
स्थानीय कस्बे के वार्ड पांच निवासी रोशनीदेवी ने बताया कि करीब दो साल पहले उन्हें बेटे की बीमारी के बारे में पता चला। उसका राजधानी जयपुर के साथ-साथ अहमदाबाद तक उपचार करवाया। दिहाड़ी-मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवार के पास जीवन निर्वहन के लिए कुछ बीघा पैतृक कृषिभूमि भी थी। ऐसे में माँ रोशनीदेवी ने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया और कृषिभूमि भी बेच दी। उपचार पर करीब पन्द्रह लाख रुपये खर्च हुआ। साथ ही बेटे को नवजीवन प्रदान करने के लिए माँ ने अपनी किडनी भी बेटे को लगवाने के लिए सहमति प्रदान करते हुए अविलंब उपचार प्रारंभ करवाया। हालांकि उपचार पूर्ण होने के बाद भी अब प्रति महीने करीब पन्द्रह से बीस हजार रुपए का खर्च बेटे की दवा पर लग रहा है। इस खर्च के लिए यह मां स्वयं दिहाड़ी-मजदूरी कर रही है।
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