पंद्रह वर्ष के बाद फर्ज है रोजा रखना
नियमानुसार मुस्लिम धर्म में पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को रोजा रखना फर्ज माना गया है, लेकिन इसे आस्था कह सकते हैं कि बच्चे बारह वर्ष की उम्र से ही रोजा रखना शुरू कर रहे हैं। एफ ब्लॉक स्थित जामा मस्जिद के ईमाम हाफिज जहीर अहमद बताते हैं कि नियमानुसार पंद्रह वर्ष से अधिक के बच्चों के लिए तो रोजा जरूरी है, लेकिन प्रतिदिन इफ्तार के लिए मस्जिद में आने वालों में बड़ी संख्या बारह वर्ष से अधिक आयु के रोजेदारों की रहती है।
जुम्मे को रखा रोजा एफ ब्लॉक मस्जिद में आए बारह वर्ष के हामिद ने बताया कि उनकी इच्छा तो रमजान के पूरे माह में रोजा रखने की थी, लेकिन अभी उन्होंने केवल जुम्मे को ही रोजा रखा है। इतनी कम उम्र में रोजा रखने के सवाल पर उनका कहना था कि यह अच्छा लगता है और इस दौरान खुद को ठीक रखने के लिए पूरा दिन ठंडे माहौल में रहते हैं। इन्हीं के साथ मौजूद इरफान का कहना था कि रमजान के महीने में रोजा रखना उन्हें भी पसंद है। इरफान ने रोजे रखने को अच्छा बताया।