scriptन दिन में है सुकून, न रात में मिले चैन | Neither is there in the day, nor is there peace in the night | Patrika News

न दिन में है सुकून, न रात में मिले चैन

locationश्री गंगानगरPublished: Jul 12, 2018 07:42:40 am

Submitted by:

pawan uppal

-अधिकारियों की मनमर्जी पर निर्भर है बिजली कटौती -रखरखाव के नाम पर लाखों खर्च के बावजूद निर्बाध बिजली आपूर्ति नहीं

summer day

न दिन में है सुकून, न रात में मिले चैन

श्रीगंगानगर.

दिन में हाड-तोड़ मेहनत के बाद रात को सुकून की नींद में बिजली की अघोषित कटौती खलल डाल रही है। यह एक दिन या रात की समस्या नहीं, बल्कि पिछले दो महीनों में लगातार आए दिन यही हाल है। चौबीस घंटे माकूल बिजली आपूर्ति अब सपना हो गई है। महंगी दरों पर बिजली का बिल चुकाने के बावजूद उपभोक्ताओं को नियमित आपूर्ति नहीं मिल रही है। यहां तक कि जिन इलाके में बिजली गुल होती है, तब संबंधित अधिकारी आपूर्ति बहाल होने का इंतजार करने का कहते हैं या अपना फोन ही बंद कर देते हैं। शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां बिजली कटौती नहीं हो रही है। यह सब अधिकारियों की मनमर्जी पर निर्भर है कि किस एरिया में लगातार बारह घंटे सप्लाई देनी है या नहीं?

रटा-रटाया जवाब
पिछले तीन दिनों से उमस भरी गर्मी में बिजली की अघोषित कटौती ने कोढ़ में खाज का काम किया है। रात को दो बजे तक लोगों को अपने इलाके के सब स्टेशन पर लाइनमेन्स को फ्यूज लगाने के लिए मिन्नतें निकालते हुए देखा जा सकता है। डिस्कॉम के अधिकारी पूरे साल भर में रख-रखाव के नाम पर कई बार बिजली की कटौती की घोषणा करते हैं।
और इसी रख-रखाव के नाम पर लाखों रुपए का बजट भी फूंका जाता है, लेकिन जब बिजली की अधिक जरूरत होती है तब यह सर्विस फेल हो जाती है। जवाहरनगर से लेकर पुरानी आबादी तक पूरे शहर का यही हाल है। डिस्कॉम के जिम्मेदार अधिकारी रटा-रटाया जवाब देते हैं कि बिजली का लोड अधिक है, लेकिन संबंधित ट्रांसफार्मर की क्षमता कम है, ऐसे में बिजली की ट्रिपिंग हो रही है।

बढ़ रही खपत, सीमित हैं संसाधन
डिस्कॉम के एसई केके कस्वां की ‘पत्रिका’ से विशेष बातचीत


पत्रिका: ऐसी क्या वजह है कि साल भर रखरखाव होने के बावजूद उमस वाली गर्मी में बिजली महकमा फेल नजर आता है?
एसई : गर्मी का पूरा लोड बिजली पर आता है। दिन-रात कूलर, पंखें और एसी, फ्रिज चलते हैं तथा स्टोरेज टैंकों में पानी भरने के लिए मोटरें चलती हैं। ऐसे में लोड और खपत दोगुनी से चौगुनी हो जाती है , लेकिन आपूर्ति के संसाधन सीमित हैं।

पत्रिका: उमस या सामान्य गर्मी दोनों में बिजली आपूर्ति निर्बाध रूप से चालू रहे, ऐसे में क्या कदम उठाने की जरुरत है?
एसई: फ्यूज से लोड को कंट्रोल किया जाता है, यदि ऐसा नहीं करेंगे तो संबंधित ट्रांसफार्मर जल जाएगा। ऐसे में बिजली की आपूर्ति करना संभव नहीं होता। इस कारण फ्यूज बार-बार उड़ते हैं। जो उपभोक्ता पंखा चलता था, वह कूलर चलाने लगा है। कूलर चलाने वाला अब एसी का इस्तेमाल करने लगा है। जिन घरों या दुकान पर एक एसी था, वहां दो से अधिक हो गए हैं। ऐसे में ट्रांसफार्मर की संख्या बढ़ाने, नई केबल बिछाने और लाइनों की दूरी कम होने के कदम उठाए जा रहे हैं।

पत्रिका: उपभोक्ताओं को बार-बार सब स्टेशन पर आकर लाइनमेन्स की मिन्नतें निकालनी पड़ती हैं, इस पुराने ढर्रे से कब निजात मिलेगी?
एसई: शहर में पांच विशेष वाहन हैं, जिनमें प्रत्येक में तीन -तीन कार्मिक कार्यरत हैं। उनको जिम्मेदारी दी गई है कि जहां बिजली फाल्ट मिले, वहां वे तत्काल जाकर दुरुस्त करें। टोल फ्री नम्बर या कंट्रोल नम्बर पर भी शिकायत की जा सकती है। इसके साथ -साथ वाट्सअप नम्बर पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

बिजली गुल है तो इन नंबर्स पर करें संपर्क
– टोल फ्री नम्बर पर कॉल: 18001806045
– वाट्सअप पर शिकायत: 9413359064
– कंट्रोल रूम नम्बर : 0154-2442073
-फाल्ट कंट्रोल अधिकारी: 9414020998

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो