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खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में केवल छह माह के लिए ही नियुक्त किए जाते हैं प्रशिक्षक

locationश्री गंगानगरPublished: Mar 19, 2018 06:34:34 pm

Submitted by:

vikas meel

जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र को छह से आठ माह के लिए मिल रहे प्रशिक्षक

श्रीगंगानगर.

जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में खिलाड़ी वर्ष के करीब छह माह तक बिना गुरु के ज्ञान की स्थिति में ही रहते हैं। आलम यह है कि यहां स्थायी कोच तो जिला खेल अधिकारी सहित कुल पांच ही है। शेष खेलों के लिए ठेका पद्धति पर प्रशिक्षक लगाए गए हैं। इन प्रशिक्षकों में से भी बहुत से ऐसे हैं जिन्हें छह से आठ माह के लिए ही नियुक्ति दी जाती है। ऐसे में खिलाड़ी वर्ष के चार से छह माह तक बिना प्रशिक्षक के ही प्रशिक्षण प्राप्त करता है।

 

ठेके पर सोलह कोच
जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र के हालात देखें तो यहां ठेके पर कुश्ती, वुशू, हॉकी, भारोत्तोलन, खो-खो, बॉक्सिंग, जूडो, वॉलीबाल, हैंडबॉल और कबड्डी सहित विभिन्न खेलों में करीब सोलह प्रशिक्षक प्राप्त हैं। इन खेलों में करीब पांच खेल ऐसे हैं जिनके दो कोच जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में कार्य कर रहे हैं। इन प्रशिक्षकों को केवल छह से आठ माह के लिए ही नियुक्त किया जाता है। खेल के विशेषज्ञ बताते हैं कि खिलाडिय़ों को पूरे वर्ष प्रशिक्षण मिले तो यह खेल के लिए ज्यादा उपयोगी होता है लेकिन होता उसका उलट है। जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में कई बार खिलाडिय़ों को बिना कोच के ही अभ्यास करना पड़ता है। इसके अलावा एथलेटिक्स के दो, बास्केटबॉल और हैंडबॉल के एक-एक स्थाई कोच हैं। इसके अलावा जिला खेलकूद अधिकारी का अतिरिक्त कार्य देख रहे सुरजीत सिंह स्वयं कबड्डी कोच हैं।


चार वर्ष पहले हुई भर्तियां
खेल के जानकार बताते हैं कि चार वर्ष पहले कोच के 58 पदों पर भर्तियां हुई थी। उस समय श्रीगंगानगर को करीब तीन कोच मिले थे, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं था। इसके साथ ही अगले वर्ष तक करीब दस कोच और जिला खेल अधिकारी सेवानिवृत्त होने की स्थिति में हैं।


होती है परेशानी
&वर्ष में करीब छह से आठ माह के लिए ही ठेके पर कोच मिल पाते हैं। ऐसे में खिलाडिय़ों को परेशानी तो होती है। यह बात अलग है कि स्थाई कोच के साथ ठेका पद्धति के माध्यम से कोच मिलने से खिलाडिय़ों को कुछ लाभ जरूर हुआ है।
-सुरजीत सिंह, जिला खेल अधिकारी, श्रीगंगानगर

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