हवाई पट्टी पर बने विश्राम गृह का 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकार्पण किया था तो हवाई पट्टी पर बिजली-पानी की व्यवस्था की गई थी। हवाई पट्टी पर रात को विमान रुकने की स्थिति में उसकी चौकसी के लिए बिजली के पोल भी लगाए गए थे। आज उन पोलों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पोल वर्षों पहले रोशन हुए होंगे। हवाई सेवा शुरू होने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग ने विश्राम गृह से चोरी हुए गेट की जगह नए गेट लगवा दिए हैं। बिजली की उखड़ी हुई फिटिंग को दुरुस्त करवाने के साथ-साथ शौचालय की चोरी हुई टोंटियों की जगह नई टोंटियां लगवा कर मरम्मत आदि का काम भी करवा दिया है। लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं होने से विश्राम गृह का उपयोग न तो वहां तैनात सुरक्षा कर्मी कर पा रहे हैं और न ही यात्री।
ठेकेदार के रहम पर
हवाई पट्टी की सुरक्षा के लिए आरएसी के पंद्रह जवानों की नियुक्ति की गई है। इनमें सात सुरक्षा कर्मी दिन में और सात रात को ड्यूटी देते हैं। विश्राम गृह की मरम्मत आदि का काम होने से पहले सुरक्षा कर्मी दिन भर पेड़ों की छांव तले बैठकर ड्यूटी पूरी करते थे। लेकिन मरम्मत होने के बाद उन्हें विश्राम गृह की लॉबी में बैठने लगे हैं। हवाई पट्टी पर चारदीवारी और अन्य कार्य शुरू होने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग के ठेकेदार की ओर से लिए गए अस्थाई कनेक्शन के कारण सुरक्षा कर्मियों को एक पंखा चलाने की सुविधा भी मिल गई है। यह सुविधा ठेकेदार के रहम पर है। जिस दिन उसका काम पूरा हो जाएगा यह सुविधा स्वत: समाप्त हो जाएगी।
यात्रियों के लिए दीवार
जयपुर जाने वाले यात्रियों को विमान रवाना होने से पहले अपना समय विश्राम गृह की दीवार की छाया में बैठकर या खड़े-खड़े गुजारना पड़ता है। बिजली की व्यवस्था नहीं होने से विश्राम गृह में वे नहीं बैठ सकते।
बिल का है चक्कर
हवाई पट्टी पर बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाने के पीछे अकेला कारण बिल बताया गया है। हालांकि हवाई पट्टी पर सुविधाओं के रखरखाव और विस्तार की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग की है। लेकिन बिजली बिल के बारे में कोई नीति तय नहीं हुई। विश्राम गृह के लोकार्पण के समय पानी और बिजली दोनों सुविधाएं थी। लेकिन बिल नहीं भरने पर दोनों कनेक्शन कट गए। रही सही कसर चोरों ने पूरी कर दी जो विश्राम गृह के कमरों, रसोई और शौचालयों के गेट के साथ-साथ पानी बिजली की फिटिंग ही उखाड़ कर ले गए।