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श्रीगंगानगर समेत राजस्थान के चौदह विधि महाविद्यालयों में नए एडमिशन नहीं

locationश्री गंगानगरPublished: Aug 10, 2019 12:08:56 am

Submitted by:

surender ojha

No admission in law colleges बार कौसिंल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की लीगल एजुकेशन कमेटी ने अनुमति नहीं दी है.

No new admissions

श्रीगंगानगर समेत राजस्थान के चौदह विधि महाविद्यालयों में नए एडमिशन नहीं

श्रीगंगानगर। कानून की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेजों में फीस प्राइवेट कॉलेजों से कई गुणा कम है लेकिन राजस्थान (Rajasthan) के पन्द्रह में से चौदह विधि महाविद्यालयों ( law colleges )में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश (admission) की प्रक्रिया अटक गई है।
बार कौसिंल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की लीगल एजुकेशन कमेटी ने अनुमति नहीं दी है। बीसीआई की इस लीगल एजुकेशन कमेटी जब अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं करती तब तक राजकीय विधि महाविद्यालयों में प्रवेश शुरू नहीं किया जा सकता। इस शिक्षा सत्र शुरू होने के बावजूद पिछले दो महीने से श्रीगंगानगर समेत चौदह जिलों में संचालित हो रहे राजकीय विधि महाविद्यालयों (government law colleges) में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
इस वजह से कानून की पढ़ाई करने का सपना पाल रहे सैँकड़ों छात्र-छात्राओं को मजबूरन प्राइवेट लॉ कॉलेजों में एडमिशन लेना पड़ रहा है, वहीं जरुरतमंद परिवारों के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रवेश के लिए लंबा इंतजार करने को मजबूर है। वहीं कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है। विधि व्याख्याता भी ठाले बैठने को मजबूर है। प्रदेश के श्रीगंगानगर (Sriganganagar)के अलावा बीकानेर, चूरू, नागौर, भीलवाड़ा, पाली, कोटा, भरतपुर, धौलपुर, बंूदी, झालवाड़, अलवर, अजमेर व सिरोही में स्थित राजकीय विधि महाविद्यालयों में अब तक प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है जबकि प्रदेश में एक मात्र सीकर राजकीय विधि महाविद्यालय को अनुमति मिल पाई है।
विधि महाविद्यालयों के प्राचार्यो की माने तो बीसीआई की ओर से जारी की गई गाइड लाइन के मुताबिक पालना करनी थी।
इसमें अध्यापन के लिए अलग अलग कक्ष, पुस्तकालय, कानूनी की किताबें, विश्वविद्यालय से स्थायी संबंद्धता और अनापत्ति प्रमाण पत्र से पहले बीसीआई में अनापत्ति प्रमाण पत्र के एवज में साढ़े तीन लाख रुपए शुल्क,यूजीसी के अनुरुप व्याख्याता और अन्य स्टाफ, खेल मैदान आदि बिन्दूओं को पूरा करना था। श्रीगंगानगर राजकीय विधि महाविद्यालय ने अब तक बीसीआई की सभी शर्तो की पालना कर दी है।
यहां तक कि आठ में से सात व्याख्याता कार्यरत है। वहीं शुल्क साढ़े तीन लाख रुपए भी जमा करवा दिए है। इसके साथ साथ बीकानेर विश्वविद्यालय से स्थायी संबंद्धता भी मिल चुकी है।
पिछले छह सालों से लॉ कॉलेजों में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश की प्रकिया अटक रही है। इस वजह से बीसीआई की एनओसी जुलाई या अगस्त माह की बजाय दिसम्बर तक आती है।
मई में वार्षिक परीक्षा होने के कारण कानून की पढ़ाई के लिए महज चार से पांच महीने का समय मिल पाता है। ऐसे में संबंधित छात्र-छात्राओं के साथ साथ व्याख्याताओं पर भी पाठयक्रम पूरा कराने का दबाव होता है। गत वर्ष नवम्बर के अंतिम सप्ताह में जब अनुमति आई तब विधानसभा चुनाव के कारण प्रवेश की प्रक्रिया दिसम्बर में पूरी हो पाई।
राजकीय विधि महाविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव फीका नजर आता है, सिर्फ एलएलबी द्वितीय और तृतीय वर्ष के अलावा एलएलएम में अध्यनरत विद्यार्थी ही इन चुनाव में शामिल हो पाते है।
श्रीगंगानगर के राजकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डा.विश्वनाथ सिंह का कहना है कि बीसीआई की ओर से प्रवेश संबंधित रोक लगी हुई है।
पूरे प्रदेश के पन्द्रह में से चौदह जिलों के विधि महाविद्यालयों में एलएलबी प्रथम वर्ष की प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इस कारण विद्यार्थी परेशान है। शिक्षा सत्र शुरू होते ही यह अनुमति आ जाएं तो शैक्षिक व्यवस्था में और सुधार आ सकता है।
हमारे महाविद्यालय की नई बिल्डिंग है, पांच नए व्याख्याता आरपीएससी के माध्यम से मिल चुके है। सबकुछ सुविधाएं है लेकिन अनुमति नहीं होने के कारण प्रवेश की प्रक्रिया अटकी है।

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