बीस दिन से लॉकडाउन में फंसे श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़,पंजाब व हरियाणा क्षेत्र के मजदूर बड़ी संख्या में बीस दिन से जैसमेर क्षेत्र में अटके हुए हैं। तीन मई तक लॉकडाउन आगे बढ़ा दिया। तब मजदूर वर्ग ने तय किया कि अब यहां पर खाने-पीने के लिए कुछ राशि भी वो खर्च हो चुकी है और अब घर जाना है। मजदूर वर्ग बीस-पच्चीस लोगों का गुट बनाकर सामान,छोटे-छोटे बच्चों के साथ चोर रास्तों से अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े। बीकानेर में बज्जू,दंतौर व खाजूवाला में जगह-जगह प्रशासन ने नाका लगा रखा है। वहां पर श्रमिकों को राहत शिविर में ठहराया जा रहा है।
बीच रास्ता में छोड़ गए-लॉकडाउन में परिवहन के साधन बंद हो गए। मुक्तसर शेरांवाली निवासी बाबूसिंह ने बताया कि बस चालक ने एक-एक हजार रुपए किराया लिया और मेरे साथ सौलह लोगों को हनुमानगढ़ छोडकऱ चला गया। अब हम कहां जाए? अब पंजाब में गांव पैदल ही निकल रहे हैं। दीनगढ़ के रमेश की पीड़ा है कि संगरिया की बजाए बस चालक हनुमानगढ़ ही छोड़ गया। अब परिवार के बाहर सदस्यों के साथ पैदल ही गांव जा रहे हैं।
गर्दन उठाने का समय नहीं–श्रीगंगानगर जिले में रावला मंडी से कुछ दूरी पर चार एसजेएम में नाका लगा हुआ है। वहां पर ड्यूटी कर रहे शिक्षक बलराम जाखड़ कहते हैं कि हजार लोग बसों,पीक अप आदि से आए हैं। बसों में निकले हैं। यहां पर एक-एक व्यक्तिा का नाम व पता रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है।सुबह से गर्दन उठाने का मौका तक नहीं मिला है। इनकी स्वास्थ्य विभाग की टीम स्वास्थ्य की जांच भी कर रही है।
पैरों में पड़े छाले,हाल-बेहाल–इनमें अधिकांश श्रमिक वर्ग से जुड़े परिवार है। इनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। गर्मी में इनका हाल-बेहाल है। समय पर ना भोजन मिल रहा है और ना प्यास बूझाने के लिए पर्याप्त पानी। खाजूवाला के सामाजिक कार्यकर्ता हनुमान भाटी ने बताया कि इन महिला श्रमिकों के पैदल चलते-चलते पैरों में छाले तक पड़ गए। पक्की सडक़ पर जगह-जगह नाका लगा रखा है। इस कारण इनसे बचने के लिए रात्रि को यह लोग सफर करते हैं और चोर रास्तों से निकल कर घर जा रहे हैं।