scriptजैसलमेर से आने वाले श्रमिकों की पीड़ा व दर्द नहीं सुन रहा कोई | No one is listening to the agony and pain of workers coming from Jaisa | Patrika News

जैसलमेर से आने वाले श्रमिकों की पीड़ा व दर्द नहीं सुन रहा कोई

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 23, 2020 09:49:40 am

Submitted by:

Krishan chauhan

जैसलमेर जिले के मरू क्षेत्र मोहनगढ़,रामगढ़ व नाचना क्षेत्र में हाड़ी की फसल कटाई करने चले गए
लॉकडाउन में अब वहां से आना मुश्किल हो गया

जैसलमेर से आने वाले श्रमिकों की पीड़ा व दर्द नहीं सुन रहा कोई

जैसलमेर से आने वाले श्रमिकों की पीड़ा व दर्द नहीं सुन रहा कोई

जैसलमेर से आने वाले श्रमिकों की पीड़ा व दर्द नहीं सुन रहा कोई


श्रीगंगानगर. कोविड-19 का संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस बीच कृषि बाहुल्य श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिला अन्न का कटौरा नाम से राज्य भर में विख्यात है। जबकि इस क्षेत्र के मजदूर की पीड़ा व दर्द को कोई नहीं सुन रहा है। बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग जैसलमेर जिले के मरू क्षेत्र मोहनगढ़,रामगढ़ व नाचना क्षेत्र में हाड़ी की फसल कटाई करने चले गए। लॉकडाउन में अब वहां से आना मुश्किल हो गया। संगरिया क्षेत्र के गांव दीनगढ़ के श्रमिक रमेश कुमार ने पत्रिका को बताया कि बीस मार्च से तीन अप्रेल तक वहां पर काम किया। वहां पर अब हाड़ी की फसल में चना,गेहूं,ईसबगोल व मैथी की फसल की कटाई की गई। रेत के टीलों के बीच अब खेत-खलिहान वीरान है। किसान फसल निकाल कर घर चले गए। वहां स्थिति यह है कि 20 से 25 किमी.तक आस-पास में ना कोई ढाणी है और ना कोई गांव है। इस गर्मी में अब लॉकडाउन में बड़ी संख्या में श्रमिक वहां पर फस गए।
बीस दिन से लॉकडाउन में फंसे

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़,पंजाब व हरियाणा क्षेत्र के मजदूर बड़ी संख्या में बीस दिन से जैसमेर क्षेत्र में अटके हुए हैं। तीन मई तक लॉकडाउन आगे बढ़ा दिया। तब मजदूर वर्ग ने तय किया कि अब यहां पर खाने-पीने के लिए कुछ राशि भी वो खर्च हो चुकी है और अब घर जाना है। मजदूर वर्ग बीस-पच्चीस लोगों का गुट बनाकर सामान,छोटे-छोटे बच्चों के साथ चोर रास्तों से अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े। बीकानेर में बज्जू,दंतौर व खाजूवाला में जगह-जगह प्रशासन ने नाका लगा रखा है। वहां पर श्रमिकों को राहत शिविर में ठहराया जा रहा है।
बीच रास्ता में छोड़ गए-लॉकडाउन में परिवहन के साधन बंद हो गए। मुक्तसर शेरांवाली निवासी बाबूसिंह ने बताया कि बस चालक ने एक-एक हजार रुपए किराया लिया और मेरे साथ सौलह लोगों को हनुमानगढ़ छोडकऱ चला गया। अब हम कहां जाए? अब पंजाब में गांव पैदल ही निकल रहे हैं। दीनगढ़ के रमेश की पीड़ा है कि संगरिया की बजाए बस चालक हनुमानगढ़ ही छोड़ गया। अब परिवार के बाहर सदस्यों के साथ पैदल ही गांव जा रहे हैं।
गर्दन उठाने का समय नहीं–श्रीगंगानगर जिले में रावला मंडी से कुछ दूरी पर चार एसजेएम में नाका लगा हुआ है। वहां पर ड्यूटी कर रहे शिक्षक बलराम जाखड़ कहते हैं कि हजार लोग बसों,पीक अप आदि से आए हैं। बसों में निकले हैं। यहां पर एक-एक व्यक्तिा का नाम व पता रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है।सुबह से गर्दन उठाने का मौका तक नहीं मिला है। इनकी स्वास्थ्य विभाग की टीम स्वास्थ्य की जांच भी कर रही है।
पैरों में पड़े छाले,हाल-बेहाल–इनमें अधिकांश श्रमिक वर्ग से जुड़े परिवार है। इनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। गर्मी में इनका हाल-बेहाल है। समय पर ना भोजन मिल रहा है और ना प्यास बूझाने के लिए पर्याप्त पानी। खाजूवाला के सामाजिक कार्यकर्ता हनुमान भाटी ने बताया कि इन महिला श्रमिकों के पैदल चलते-चलते पैरों में छाले तक पड़ गए। पक्की सडक़ पर जगह-जगह नाका लगा रखा है। इस कारण इनसे बचने के लिए रात्रि को यह लोग सफर करते हैं और चोर रास्तों से निकल कर घर जा रहे हैं।
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