रोडवेज के सूत्र बताते हैं कि लंबी दूरी की दोनों बसों में 16 से 18 रुपये प्रति किलोमीटर की आय आ रही थी, जो कि काफी कम है। इन रूट पर रोडवेज को 25 रुपये प्रति किलोमीटर की आय होनी चाहिए थी। यही वजह है कि इन बस सेवाओं को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। श्रीगंगानगर से सालासर जाने वाली एक मात्र बस सेवा को रोडवेज प्रशासन पहले ही बंद कर चुका था। इस मार्ग पर भी मामूली आय हो रही थी। रतनगढ़-सालासर के बीच यह बस पूरे तौर से खाली चल रही थी। सूरतगढ़-श्रीगंगानगर मार्ग पर भी कुछ बसों को हटाकर दूसरे रूटों पर लगाया गया है। श्रीगंगानगर से सूरतगढ़ होते हुए बीकानेर के लिए श्रीगंगानगर आगार की एक भी बस सेवा संचालित नहीं है, जबकि इसी रूट पर निजी बसों की संख्या 20 से अधिक है। जानकारों का कहना है कि श्रीगंगानगर से चलने वाली रोडवेज की बसों की आकस्मिक जांच व्यवस्था न होने के कारण यात्री भार लगातार कम हो रहा था।
एक साल के दौरान गंगानगर आगार की ओर से नए रूट पर एक भी बस का संचालन नहीं किया गया है। पंजाब के लिए लम्बे समय से चार नए रूट पर बस चलाने का प्रस्ताव आज भी कागजों में धूल खा रहा है। पंजाब रोडवेज की ओर से कोई ना कोई बहाना बनाकर इन रूट पर बस सेवाओं के संचालन की अनुमति नहीं दी जा रही जबकि पंजाब रोडवेज की ओर से 40 से अधिक बसें जिला मुख्यालय पर आ और जा रही है। गंगानगर आगार के पास इस समय 123 बसें हैं जिनमें से 40 बसें अनुबंध पर ली हुई है। 18 अनुबंधित बसें केवल जयपुर और श्रीगंगानगर रूट पर चल रही है।
‘यह सही है कि गंगानगर आगार की ओर से लंबी दूरी की कुछ बस सेवाओं को रद्द किया गया है। आगार में कंडक्टरों के 30 पद अभी खाली है। सारथी की मदद से इन पदों को भरने के बाद नई बस सेवाओं को शुरू किया जाएगा।’
– अजय मीणा, प्रबंधक संचालन, राजस्थान रोडवेज, श्रीगंगानगर आगार