यह पूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद गौतमनगर 137 बीघा भूमि पर बसेगा। इस नई कॉलोनी में मूलभूत सुविधाओं के लिए न्यास 11 करोड़ रुपए का बजट खर्च कर रहा हैं। ज्ञात रहे कि कृषि भूमि पर रातोंरात प्राइवेट कॉलोनाइर्स सस्ते दामों का सब्जबाग दिखाकर भूखंड बेच रहे है, ऐसे में यूआईटी की यह कॉलोनी अपना आशियाना बना रहे लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकेगी।
सूरतगढ़ बाइपास से सटी इस भूमि पर पहले न्यास ने फामज़् हाउस बनाकर बेचान करने का निणज़्य लिया था लेकिन प्रोपटीज़् में चल रही मंदी के कारण खरीददार नही आए तो इस भूमि में मध्यवर्गीय परिवारों के लिए 1150 भूखंड आवंटित का प्रोपजल तैयार किया था लेकिन 27 बीघा भूमि और मिलने के बाद भूखंडेां की संख्या अब डेढ़ हजार तक पहुंच चुकी हैं।
इस भूमि में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के 550 भूखंड, मिक्सड प्लॉट 100, कॉमर्शिलय 250 और अन्य आवासीय भूखंड 600 भूखंड है। न्यास का दावा है कि इन भूखंडों के बेचान से करीब 17 से 19 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा।
इस बीच यूआईटी की सचिव डा.़हरितिमा ने बताया कि गौतमनगर की प्रक्रिया अब फाइनल स्टेज पर हैं। जिन 27 बीघा भूमि के खातेदारों ने आकर सहमति जताई है उसके बाद फिर से नई सिरे से कवायद शुरू की गई हैं। पहले यह गौतमनगर 110 बीघा भूमि पर तैयार किया गया था। उम्मीद है कि जल्द ही यह गौतमनगर की लॉचिंग की जाएगी।