आनन-फानन में लागू कर दिया सिस्टम
राज्य सरकार ने पिछले साल नवम्बर में नई पेंशन पाने के लिए पात्र परिवारों या सदस्यों को मैन्युअल की बजाय ऑनलाइन आवेदन करने के आदेश किए हैं। इसमें शहरी क्षेत्र में नगर परिषद या नगर पालिका में यह आवेदन करना है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत समिति के अटल सेवा केन्द्र पर ऐसे आवेदन करने की प्रकिया थी, लेकिन अब ऑनलाइन आवेदन करने से पात्र परिवारों ने अपने दस्तावेज भी अपलोड करवाए हैं। पिछले ढाई महीने में अपलोड हुए आवेदन को किस अधिकारी से सत्यापन कराया जाएगा या नहीं, इसके बारे में जिम्मेदारी नहीं दी है।
अनदेखी के पेच में फंसे ऑनलाइन आवेदन
पिछले साल 31 दिसम्बर तक शहरी क्षेत्र के लिए उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में करीब साढ़े तीन सौ से अधिक आवेदन तहसीलदार और एसडीएम ऑफिस के क्षेत्राधिकार को लेकर फुटबाल बने हुए हंै। यहां तक कि जिन लोगों ने ई मित्र की दुकानों से ऑनलाइन आवेदन किए थे, वे किसी भी सरकारी विभाग से संबंध नहीं हुए हैं। यानि इन आवेदनों के सत्यापन को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे ऑनलाइन आवेदन अब शोपीस बनकर रह गए हंै। जबकि दूसरी ओर पेंशन पाने के लिए लोग अपने इलाके के जनप्रतिनिधियो से पेंशन शुरू करने की मांग कर रहे हैं। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी मामले में चुप्पी साध ली है।
दुकानदारों को मौज, आवेदक परेशान
ई मित्र की दुकानों से आवेदन फार्म के साथ-साथ आवेदक के आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड, राशन कार्ड, विधवा पेंशन की स्थिति में पति का मृत्यु प्रमाण पत्र, विकलांग पेंशन है तो उसका स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, घर के मूल पते का दस्तावेज, शैक्षिक योग्यता और आय प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों को अपलोड करवाना होता है। ऐसे ऑनलाइन दस्तावेज और फार्म अपलोड कराने के एवज में करीब एक सौ रुपए की वसूली की जा रही है लेकिन पेंशन कब आएगी यह संबंधित एसडीएम ऑफिस या पंचायत समिति ऑफिस की बात कहकर वहां भेजा जाता है। लेकिन संबंधित विभागों में यह आवेदन आया ही नहीं है, इससे आवेदक परेशान हो रहे है।
यह सही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन की प्रक्रिया अब ऑनलाइन शुरू होने से आवेदक को राहत दी गई थी लेकिन इस सॉफ्टवेयर में भारी विसंगतियां है कि उससे पेंशन संबंधित आवेदन को सत्यापन कौन करेगा यह तक जिक्र नहीं किया गया है। विकल्प और अपडेट नहीं होने के कारण यह ऑनलाइन प्रक्रिया परेशानी खड़ी कर रहा है। इस संबंध में जिला कलक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को अवगत कराया गया है। इसके दुरुस्त होने के बाद ही राहत मिल सकेगी।
-यशपाल आहुजा, उपखण्ड अधिकारी श्रीगंगानगर।