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विकल्प मौजूद फिर भी डीएपी के लिए मचती है मारामारी

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 22, 2021 02:41:37 am

Submitted by:

yogesh tiiwari

श्रीगंगानगर. रबी फसल से किसानों को बड़ी उम्मीदें होती है। हो भी क्यों नहीं कम तापमान के चलते फसलों की पानी की जरूरत जल्द पूरी हो जाती है और किसान अधिकाधिक उत्पादन लेने में सफल रहते हैं। ऐसे में खरीफ के बाद जैसे ही रबी फसलों की बिजाई का सीजन शुरू होता है तब बिजाई के लिए जरूरी खाद और बीज के लिए मारामारी वाली स्थिति हो जाती है।

विकल्प मौजूद फिर भी डीएपी के लिए मचती है मारामारी

विकल्प मौजूद फिर भी डीएपी के लिए मचती है मारामारी

-लोगो–बिग इश्यू–
-विभाग का दावा: किसान अपना रहे स्वदेशी विकल्प

-किसान बोले: नहीं मिल रहे अपेक्षित परिणाम
योगेश तिवाड़ी. श्रीगंगानगर. रबी फसल से किसानों को बड़ी उम्मीदें होती है। हो भी क्यों नहीं कम तापमान के चलते फसलों की पानी की जरूरत जल्द पूरी हो जाती है और किसान अधिकाधिक उत्पादन लेने में सफल रहते हैं। ऐसे में खरीफ के बाद जैसे ही रबी फसलों की बिजाई का सीजन शुरू होता है तब बिजाई के लिए जरूरी खाद और बीज के लिए मारामारी वाली स्थिति हो जाती है।
जिले में वर्षों से किसान रबी फसलों की बिजाई में डीएपी का इस्तेमाल आवश्यक रूप से कर रहे हैं। बाजार में डीएपी के अच्छे विकल्प मौजूद होने के बावजूद किसानों को वे रास नहीं आ रहे। हालांकि विभाग का दावा है कि किसान अब डीएपी की जगह सिंंगल सुपर फास्फेट(एसएसपी) और यूरिया का इस्तेमाल करने लगे हैं।
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कच्चे माल के दाम बढऩे से आयात सुस्त

वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी से उर्वरक आयातक डीएपी के आयात में कम रुचि ले रहे हैं। इससे मांग की तुलना में डीएपी की आवक कम रहने की संभावना जताई जा रही है।
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सिंगल सुपर फास्फेट अच्छा विकल्प

सिंगल सुपर फास्फेट फास्फोरस युक्त सल्फर प्रदान करने वाला एकमात्र उर्वरक है जिसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस, 11 प्रतिशत सल्फर और 21 प्रतिशत कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। कृषि विभाग के अनुसार यह उर्वरक तिलहनी व दलहनी फसलों के लिए अधिक उपयोगी है।
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तीन बैग एसएसपी व एक बैग यूरिया का करें इस्तेमाल

एक बैग डीएपी में 23 किलो फास्फोरस व 9 किलो नाइट्रोजन होता है जबकि एक बैग सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) में 8 किग्रा फॉस्फोरस व 5.5 किलो सल्फर पाया जाता है। ऐसे में तीन बैग एसएसपी के साथ एक बैग यूरिया को डीएपी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डीएपी से सस्ता भी पड़ता है।
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डीएपी का परिणाम तुरंत मिलता है

सरसों व गेहूं की बिजाई के समय डीएपी की आवश्यकता रहती है। किसानों को इसका तुरंत परिणाम मिलता है। वहीं एसएसपी व यूरिया मिलाकर काम में लेने से परिणाम मिलने में समय अधिक लगता है। एसएसपी कम सिंचित क्षेत्र में असरदार है।
-शिव प्रकाश सहारण, किसान, चक 13 केआरडब्ल्यू(सादुलशहर)
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मूंग व ग्वार वाली जमीन पर जरूरी
किसान जिस जमीन पर खरीफ में मूंग व ग्वार का उत्पादन लेता है। वहां सरसों या गेहूं का उत्पादन लेने के लिए डीएपी का इस्तेमाल करना पड़ता है। कृषि विभाग एसएसपी व यूरिया मिलाकर इस्तेमाल करने का विकल्प सुझाता है परन्तु किसान डीएपी ही लेना चाहते हैं।
-चमकौर सिंह, किसान, चक 13 एफसी (श्रीकरणपुर)
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किसान भूमि की उर्वरा शक्ति सुधारे
किसानों ने अपनी जमीनों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर दोहन कर लिया है। अब समय आ गया है कि किसान प्राकृतिक खेती की ओर लौटे। जब तक नीति नहीं बनती है सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए।
-मनीराम पूनिया, प्रगतिशील किसान, सांवतसर(पदमपुर)
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एसएसपी स्वदेशी, मिल रहे उत्साहजनक परिणाम
डीएवी विदेशी उर्वरक है जबकि एसएसपी स्वदेशी और आसानी से मिलने का उर्वरक है। विभाग किसानों को डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी इस्तेमाल करने के लिए जागरूक कर रहा है जिसके उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं।
-डॉ.जी.आर.मटोरिया, संयुक्त निदेशक (कृषि), श्रीगंगानगर
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फैक्ट फाइल
वर्ष 2020-2021 (रबी फसल)

फसल लक्ष्य बुवाई क्षेत्र
गेहूं 250000 231432

जौ 65000 53666
चना 13000 124552

सरसों 220000 229502
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फैक्ट फाइल
वर्ष 2021-2022 (रबी फसल)
फसल लक्ष्य बुवाई क्षेत्र (अनुमानित)
गेहूं 225000 0

जौ 60000 0
चना 13000 958

सरसों 250000 73734

(स्रोत: कृषि विभाग, क्षेत्रफल हेक्टेयर में)

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