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नगर परिषद आयुक्त की कुर्सी, लेपटॉप, एसी, पंखा, अलमारी, टयूबलाइट और कम्प्यूटर को कुर्क करने के आदेश

locationश्री गंगानगरPublished: Sep 20, 2021 10:49:11 pm

Submitted by:

surender ojha

Order to attach the chair and computer of the city council commissioner- नियमित सफाई नहीं होने पर महिला मैना शर्मा ने नगर परिषद प्रशासन को दी थी चुनौती

नगर परिषद आयुक्त की कुर्सी, लेपटॉप, एसी, पंखा, अलमारी, टयूबलाइट और कम्प्यूटर को कुर्क करने के आदेश

नगर परिषद आयुक्त की कुर्सी, लेपटॉप, एसी, पंखा, अलमारी, टयूबलाइट और कम्प्यूटर को कुर्क करने के आदेश

श्रीगंगानगर. नियमित सफाई की बजाय कचरा स्थल बनाने के खिलाफ जिला स्थाई लोक अदालत के आदेश के बावजूद हर्जाना राशि ७४ हजार ८०० रुपए नहीं चुकाने पर अब कोर्ट ने नगर परिषद आयुक्त की कुर्सियां, लेपटॉप, एसी, पंखा, अलमारी, टयूबलाइट और कम्प्यूटर को कुर्क करने के आदेश दिए है।
नाजिर अनिल गोदारा ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जवाहरनगर पुलिस थाने से सटे जे ब्लॉक पार्क की दीवार पर बने मूत्रालय को दुरुस्त नहीं करने, पार्क की दीवार के पास कचरा प्वांइट बनाकर गंदगी फैलाने और रेहड़ी स्थल बनाने की समस्याओं का निराकरण नहीं करने पर जिला स्थायी लोक अदालत की ओर से 25 जुलाई 2019के निर्णय की पालना नहीं करने पर यह कुर्की वारंट जारी किया है। यह कुर्की अब 12 अक्टूर 2021 तक की जाएगी।
इधर, परिवादिया वार्ड ४४ तेली मोहल्ला निवासी मैना शर्मा पुत्री हनुमानदास शर्मा केअधिवक्ता नरेश काठपाल ने बताया कि वर्ष 2021 में जिला स्थायी लोक अदालत ने निर्णय सुनाया था।

इसमें सफाई नहीं होने पर दोषी कार्मिकों से रोजाना एक सौ रुपए और वाद व्यय के पांच हजार रुपए की राशि चुकाने के आदेश किए थे। लेकिन दो साल बाद भी यह भुगतान नगर परिषद प्रशासन ने नहीं किया।
कोरोना की वजह से लॉक डाउन होने पर इजराय याचिका में सुनवाई लंबित रही। लेकिन अब कोर्ट ने इस इजराय याचिका में निर्णय करते हुए नगर परिषद आयुक्त कार्यालय के सामान को कुर्क करने के आदेश किए है।
यह था मामला
वार्ड ४४ तेली मोहल्ला निवासी मैना शर्मा पुत्री हनुमानदास शर्मा की ओर से जिला स्थायी लोक अदालत में करीब ढाई साल पहले नगर परिषद आयुक्त व स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ परिवाद पेश किया गया। इसमें बताया कि वह अपनी बहन राधा शर्मा के साथ निवास कर रही है।
उनके घर के सामने जे ब्लॉक पार्क की दीवार के साथ नगर परिषद ने छोटा सा शौचालय निर्माण करवा रखा है। इस शौचालय की हालत खराब है, पानी निकासी भी नही होती। सफाई की बजाय वहां गंदगी पसरी रहती है। यहां तक कि लोग वहां लघु शंका करते है।
इस कारण एरिया की महिलाएं घर से बाहर तक नहीं निकल पाती है। वहां कचरा स्थल बना दिया है, यहां कचरे का उठाव तक नहीं होता। वहीं कई लोगों ने निर्माण सामग्री जैसे ईंटें, रेता आदि बेतरीक रखकर आवाजाही प्रभावित कर दी है।
इसके अलावा रेहड़ी बांधने का स्थल तक बना दिया है। इस कारण पशुओं और शौचालय करने वाले लोगों के मल मूत्र होने से इलाके में इतनी गंदगी हो चुकी है कि वहां रहना भी दुश्वर हो गया है।
लगातार शिकायतों के बावजूद नगर परिषद प्रशासन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है। इस प्रकरण में नगर परिषद प्रशासन गैर हाजिर रहने पर अदालत ने एक पक्षीय निर्णय सुनाया था।

परिवादी की ओर से मोहल्ले के कुछ लोग गवाहों के तौर पर और संबंधित स्थल की फोटोग्राफी भी पेश की गई। अदालत ने आदेश दिया कि नगर परिषद तत्काल वहां शौचालय की मरम्मत कर उसे इस्तेमाल की हालत में करने, सार्वजनिक पार्क की आवाजाही में बाधा डालने वाले पशुओं या जानवर बांधने से मुक्त दिलाने, भवन निर्माण सामग्री हटाया जाएं।
एेसा नहीं होने पर नगर परिषद दोषी कार्मिकों की पहचान कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और दोषी कार्मिकों पर प्रतिदिन एक एक सौ रुपए का जुर्माना वसूला जाएं, जुर्माना राशि व विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट एक माह के अंदर अदालत में पेश करने के लिए भी नगर परिषद को पाबंद किया गया है।
इसके बावजूद नगर परिषद ने संबंधित एरिया में नियमित सफाई तक नहीं कराई और न ही इस संबंध में अदालत में रिपोर्ट पेश की। इस पर परिवादिया ने फिर से अदालत की शरण ली।

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