छह साल का कार्तिक स्पास्टिक रूप से दिव्यांग है। फर्नीचर पॉलिश का काम करने वाले सुरेंद्र और प्रेमलता बच्चे कीशारीरिक कमी का पता लगते ही उपचार के लिए प्राणपण से जुट गए। साधन-सुविधा सीमित होने के बावजूद कोई कसर बाकी नहीं रखी। जब श्रीगंगानगर में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दर्शन आहूजा के यहां जुबिन स्पास्टिक होम एंड चेरिटेबल ट्रस्ट का पता चला तो यहां आए। अपेक्षित सुधार होता देख प्रेमलता ने यहीं अस्थाई रूप से रहने का मन बनाया। ट्रस्ट ने उन्हें रहने, भोजन, शिक्षा आदि की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध करवाई। सुरेंद्र बीच-बीच में यहां आते रहते हैं।
प्रेमलता के अनुसार यूं तो सभी माता-पिता अपने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर
संभव कार्य करते हैं लेकिन जिन बच्चों में कोई शारीरिक कमी है, उनके अभिभावकों के लिए
प्रत्येक दिन चुनौती वाला होता है। ऐसे माता-पिता को अपने बच्चों
को मुख्य धारा में लाने के
लिए अतिरिक्त मेहनत करनी चाहिए, अपने मनोबल को ऊंचा रखते हुए प्रयास जारी रखने चाहिए।
संभव कार्य करते हैं लेकिन जिन बच्चों में कोई शारीरिक कमी है, उनके अभिभावकों के लिए
प्रत्येक दिन चुनौती वाला होता है। ऐसे माता-पिता को अपने बच्चों
को मुख्य धारा में लाने के
लिए अतिरिक्त मेहनत करनी चाहिए, अपने मनोबल को ऊंचा रखते हुए प्रयास जारी रखने चाहिए।
… तो जल्द करवाना चाहिए उपचार
हर प्रकार के दिव्यांग बच्चों के परिजनों को मालूम चलते ही बिना देरी किए उपचार आदि शुरू कर देना चाहिए। प्रसव से पूर्व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य, खान-पान आदि के प्रति भी पूरी सजगता बरतनी चाहिए। समाज को भी ऐसे बच्चों के प्रति विशेष स्नेह दिखाते हुए आगे बढऩा चाहिए।…………...-विनीता आहूजा, सचिव, जुबिन स्पास्टिक होम एंड चेरिटेबल ट्रस्ट
हर प्रकार के दिव्यांग बच्चों के परिजनों को मालूम चलते ही बिना देरी किए उपचार आदि शुरू कर देना चाहिए। प्रसव से पूर्व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य, खान-पान आदि के प्रति भी पूरी सजगता बरतनी चाहिए। समाज को भी ऐसे बच्चों के प्रति विशेष स्नेह दिखाते हुए आगे बढऩा चाहिए।…………...-विनीता आहूजा, सचिव, जुबिन स्पास्टिक होम एंड चेरिटेबल ट्रस्ट