चिकित्सालय में ऑक्सीजन सप्लाई की चेन टूटते ही रोगियों की सांसें अटक जाएगी। चिकित्सालय में ऑक्सीजन की व्यवस्था एक-दो दिन से अधिक नहीं है। इस स्थिति में ऑक्सीजन सप्लाई देरी से आने और प्लांट के जवाब देने पर बिना ऑक्सीजन रोगियों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। कोविड अस्पताल में क्षमता के अनुसार रोगी भर्ती करने चाहिए या फिर अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था अभी से करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर कभी ऑक्सीजन की कमी से रोगियों की सांसें अटक जाती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ?
राजकीय जिला चिकित्सालय का ऑक्सीजन प्लांट लगातार चल रहा है। इस प्लांट की क्षमता एक दिन में 35 डी-टाइप सिलेंडर ऑक्सीजन उत्पादन की है। इसमें 35 रोगियों को सैंट्रल पाइप लाइन से ऑक्सीजन दी जा रही है। यह प्लांट नियमित रूप से चल रहा है और इसकी सांसें भी फूलने लगी है। इनमें दो-तीन बार व्यवधान भी आ चुका है।
रीको प्लांट से री-फिलिंग कर ऑक्सीजन सप्लाई
चिकित्सालय को कितनी मिली ऑक्सीजन
1 मई- 75 डी-टाइप व 4 छोटे सिलेंडर
3 मई- 54 डी-टाइप, 11 छोटे सिलेंडर 4 मई-65 डी टाइप
5 मई -87 डी टाइप, 31 छोटे सिलेंडर फैक्ट फाइल -कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन पर भर्ती रोगी
-142-ऑक्सीजन प्लांट से प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन-35 डी-टाइप सिलेंडर
आइसीयू, सीसीयू, नर्सरी और आपातकालीन ऑपरेशन -15 डी-टाइप सिलेंडर (राजकीय जिला चिकित्सालय की स्थिति) कोविड अस्पताल में कोरोना संक्रमित व संदिग्ध मरीज ऑक्सीजन पर ज्यादा रहते हैं। चिकित्सालय प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 35 डी-टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर की है। रोगी बढऩे पर ऑक्सीजन की खपत ज्यादा होती है। प्रतिदिन 100 डी-टाइप सिलेंडर की मांग है। इसको स्टेट नोडल अधिकारी व जिला कलक्टर तक अवगत करवा दिया है। वर्तमान में सुबह 142 मरीज और शाम को 116 मरीज ऑक्सीजन पर थे और 40 डी-टाइप सिलेंडर ऑक्सीजन उपलब्ध थी।
-डॉ. बलदेव सिंह चौहान, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर।