कांग्रेस एससी एसटी मोर्चा के प्रदेश सचिव संत लाल मेघवाल, रायसिंहनगर संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेश सिकरवाल, एसएफआई के छात्र नेता रवि मालिया, महादेव विश्नोई सहित अन्य ने महाविद्यालय के सरकारी करण पर प्रसन्नता जाहिर की।
-पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ था सरकारी
महाविद्यालय का सरकारीकरण पूर्व विधायक दौलतराज के कार्यकाल में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया था। सरकारी करण के उपरांत यहां प्राचार्य की नियुक्ति भी कर दी गई थी लेकिन इसी के दौरान सरकार बदलने के बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार ने महाविद्यालय के सरकारी करण को वापिस ले लिया तथा महाविद्यालय को डिनोटिफाई कर दिया।
महाविद्यालय का सरकारीकरण पूर्व विधायक दौलतराज के कार्यकाल में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया था। सरकारी करण के उपरांत यहां प्राचार्य की नियुक्ति भी कर दी गई थी लेकिन इसी के दौरान सरकार बदलने के बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार ने महाविद्यालय के सरकारी करण को वापिस ले लिया तथा महाविद्यालय को डिनोटिफाई कर दिया।
-कई बार हुए विवाद
महाविद्यालय के डिनोटिफाई होने के बाद महाविद्यालय के अस्तित्व को लेकर कई बार विवाद हुए। एक बार तो ऐसी स्थिति भी पैदा हो गई जब जमीन की रजिस्ट्री तक हो गई। उसके बाद हुए आंदोलनों के परिणाम स्वरूप महाविद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री करवा दी गई। जिसे बाद में खरीद करता के द्वारा फिर से महाविद्यालय के नाम करवा दिया गया था। इसके अलावा महाविद्यालय के सरकारी करण को लेकर समय-समय पर आंदोलन हुए वहीं स्टाफ की नियुक्तियों को लेकर भी कई बार विवाद की स्थिति बनी
महाविद्यालय के डिनोटिफाई होने के बाद महाविद्यालय के अस्तित्व को लेकर कई बार विवाद हुए। एक बार तो ऐसी स्थिति भी पैदा हो गई जब जमीन की रजिस्ट्री तक हो गई। उसके बाद हुए आंदोलनों के परिणाम स्वरूप महाविद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री करवा दी गई। जिसे बाद में खरीद करता के द्वारा फिर से महाविद्यालय के नाम करवा दिया गया था। इसके अलावा महाविद्यालय के सरकारी करण को लेकर समय-समय पर आंदोलन हुए वहीं स्टाफ की नियुक्तियों को लेकर भी कई बार विवाद की स्थिति बनी
उधर राजस्थान ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों के तहत महाविद्यालय के सरकारी सेवा में समायोजित स्टाफ के द्वारा ग्रेच्युटी भुगतान को लेकर न्यायिक निर्णय ने महाविद्यालय की परेशानियों को बढ़ा दिया। न्यायालय ने कर्मचारियों के हित में निर्णय देते हुए महाविद्यालय प्रबंधन को ग्रेच्युटी भुगतान के आदेश दिए जिससे मुश्किलें और बढ़ गई। भुगतान की यह कार्रवाई अभी भी लंबित है। पूर्व में हुए सरकारी करण के बाद महाविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया भी सरकारी खर्च पर शुरू कर दी गई थी तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने प्रवेश भी ले लिया था नोटिफाई होते ही इस विद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ा