रेल संघर्ष समिति के संयोजक बलदेव सैन ने बताया कि सात साल पहले ठीक आज ही के दिन यानी 8 जून 2012 को कैनाल लूप पर ब्रॉडगेज शुरू हुई। उस समय सूरतगढ़-श्रीगंगानगर के मध्य चली पैसेंजर गाड़ी के 12 डिब्बे (कोच) थे। लेकिन वर्तमान में यह संख्या घटकर छह हो गई है। इससे यात्रियों की परेशानी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि यात्रियों को खचाखच भरे डिब्बे में खड़े रहकर या मजबूरन सामान के लिए आरक्षित डिब्बों (लगेज कोच) में यात्रा करनी पड़ रही है। बुजुर्गों और महिलाओं के लिए भीड़ में खड़े रहकर यात्रा करना बेहद परेशानी भरा है। इसके अलावा राज्य की राजधानी जयपुर के साथ ही पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों के लिए लंबी दूरी की पैसेंजर गाडियां नहीं मिलने से लोग बसों की महंगी यात्रा करने को मजबूर है। समिति कोषाध्यक्ष ललित बंसल ने कहा कि वर्तमान यात्री भार को देखते हुए जिला मुख्यालय जाने के लिए एक गाड़ी और शुरू करने और चल रही पैसेंजर गाडियों में कोच बढ़ाए जाने की आवश्यकता है लेकिन विभाग दिनोंदिन इसमें कमी करता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जल्द डिब्बों की संख्या नहीं बढ़ी तो आंदोलन तेज होगा। मौके पर समिति के रवि गर्ग, अरुण कौशिक, संजीव भाटिया, महावीर राजपुरोहित, रेशम सिंह, अधिवक्ता विनय गर्ग, चरणजीत सिंह व श्याम लखीसराणी सहित कई अन्य नागरिक मौजूद थे।