-आरबीएसके के तहत स्वास्थ्य विभाग ने दिया कार्मिकों को प्रशिक्षण श्रीगंगानगर. बच्चों की जन्मजात बीमारियों को अब स्वास्थ्य विभाग लैबर रूम में ही चिन्हित करेगा ताकि जल्द से जल्द उपचार कर उन्हें राहत दी जा सके। इस नवाचार को अमलीजामा पहनाने के लिए विभाग ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया है, जो लैबर रूम में नियुक्त हैं। सोमवार को जिला स्वास्थ्य भवन में ऐसे करीब 42 कार्मिकों को पहले बैच में प्रशिक्षण दिया गया, इसी सप्ताह ऐसे ही 200 से अधिक कार्मिकों को पांच बैच में प्रशिक्षण दिया जाएगा। आगामी दिनों में यही कार्मिक लैबर रूम में ही नवजात की जन्मजात बीमारियों को चिन्हित कर सकेंगे।
सीएमएचओ डॉ. नरेश बंसल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीमें राजकीय स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाकर जन्मजात विकृतियों वाले बच्चों को चिन्हित करती हैं और विभाग उनका नि:शुल्क उपचार करवाता है। हालांकि जन्म के बाद ऐसे बच्चों के चिन्हीकरण में देरी होने से उपचार नहीं हो पाता या जन्मजात विकृतियां स्थायी रूप ले लेती हैं। यही वजह है कि सरकार अब लैबर रूम में जन्म के समय ही ऐसे बच्चों की जन्मजात विकृतियों को चिन्हित करने के लिए वहां नियुक्त स्टाफ को प्रशिक्षित कर ही है। यहां चिन्हित करने के बाद आरबीएसके रेफर कार्ड पर इन्हें उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेजेगा और इनका नि:शुल्क उपचार करवाया जाएगा।
सीएमएचओ डॉ. नरेश बंसल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीमें राजकीय स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाकर जन्मजात विकृतियों वाले बच्चों को चिन्हित करती हैं और विभाग उनका नि:शुल्क उपचार करवाता है। हालांकि जन्म के बाद ऐसे बच्चों के चिन्हीकरण में देरी होने से उपचार नहीं हो पाता या जन्मजात विकृतियां स्थायी रूप ले लेती हैं। यही वजह है कि सरकार अब लैबर रूम में जन्म के समय ही ऐसे बच्चों की जन्मजात विकृतियों को चिन्हित करने के लिए वहां नियुक्त स्टाफ को प्रशिक्षित कर ही है। यहां चिन्हित करने के बाद आरबीएसके रेफर कार्ड पर इन्हें उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेजेगा और इनका नि:शुल्क उपचार करवाया जाएगा।