कलक्टर की ओर से जारी किए गए इस आदेश में बताया है कि जिले में एनजीओ, भामाशाहों और दानदाताओं की ओर से जरुरतमंदों को अन्नपूर्णा किट या रेडी टू ईट फूड पैकेट या लंगर का वितरण किया जा रहा है। लेकिन इस दौरान अनावश्यक भीड़ एकत्रित होती है, इससे जिले में लागू की गई धारा 144 और सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का उल्लघंन भी हो रहा है।
इसके साथ साथ वितरण के दौरान सेल्फी, फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी की जाकर इसे सोशल मीडिया, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है, इससे जरुरतमंद परिवारों या जरुरतमंद व्यक्ति की गरीबी का उपहास उड़ रहा है।
इस वजह से कलक्टर ने अन्नपूर्णा किट, रेडी टू ईट फूड पैकेट या लंगर वितरण के दौरान सेल्फी, फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करने पर पूर्णतया पाबंदी लगा दी है। एनजीओ, भामाशाह या दानदाता या उनके प्रतिनिधि दो से अधिक संख्या में न हो, एक समय में ही परिवार को वितरण करने की व्यवस्था करें।
दूसरा परिवार वहां एकत्र न होवें। यदि आदेशां की उल्लघंन किया जाता है तो भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। आईपीसी की धारा 188 में एक माह से लेकर छह माह तक कारावास व जुर्माना दोनों सजा देने का प्रावधान है।
वर्ष 1897 के महामारी कानून के सेक्शन 3 में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर कोई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, सरकार / कानून के निर्देशों / नियमों को तोड़ता है, तो उसे आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडित किया जा सकता है।
इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके खिलाफ ये धारा लगाई जा सकती है। यहां तक कि किसी के ऊपर ये धारा लगाने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए ये भी जरूरी नहीं कि उसके द्वारा नियम तोड़े जाने से किसी का नुकसान हुआ हो या नुकसान हो सकता हो।
अगर आपको सरकार द्वारा जारी उन निर्देशों की जानकारी है, फिर भी आप उनका उल्लंघन कर रहे हैं, तो भी आपके ऊपर धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
धारा 188 के तहत दो प्रावधान हैं, पहला यह है कि अगर आप सरकार या किसी सरकारी अधिकारी द्वारा कानूनी रूप से दिए गए आदेशों का उल्लंघन करते हैं, या आपकी किसी हरकत से कानून व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है, तो आपको कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
दूसरा – अगर आपके द्वारा सरकार के आदेश का उल्लंघन किए जाने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा, आदि को खतरा होता है, तो आपको कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
दंड प्रक्रिया संहिता यानि सीआरपीसी के अनुसार, दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है और कार्रवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।