इन ठेले वालों को आत्मनिर्भर करने के लिए सस्ती ब्याज दरों पर ऋण सुविधा देने की यह स्कीम जून २०२० को लांच की थी। लेकिन इलाके के बैंकों ने पात्र वैंडर्स को ऋण देने की बजाय चक्कर कटवाने शुरू कर दिए। जिले में श्रीगंगानगर नगर परिषद के अलावा अनूपगढ़, गजसिंहपुर, श्रीकरणपुर, पदमपुर, रायसिंहनगर, सादुलशहर, श्रीविजयनगर और सूरतगढ़ नगर पालिका क्षेत्र में कुल पांच हजार पंजीकृत वैंडर्स है।
इसमें से सिर्फ 122 वैंडर्स को ऋण सुविधा मिली है, शेष 4878 वैंडर्स अब भी बाट जोह रहे है। ऋण नहीं मिलने के कारण यह योजना अब इलाके में दम तोडऩे लगी है। यहां तक कि श्रीविजयनगर, केसरीसिंहपुर और सादुलशहर में एक भी पात्र को ऋण की सुविधा तक नहीं मिली है। इस योजना की मॉनीटरिंग बकायदा हर सप्ताह होती है। बिना गारंटी के मिलता है ऋण सरकार का मकसद है कि सड़क किनारे ठेले लगाकर सामान बेचने वाले ऐसे दुकानदारों को इस स्कीम से लाभ मिले और वो दोबारा अपने छोटे कारोबार को पटरी पर ला सकें। सस्ती दरों पर मिलने वाले इस सरकारी ऋण की विशेषता है कि किसी तरह की गारंटी नहीं ली जाती है।
इस स्कीम के तहत रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों को 10 हजार रुपये तक का कर्ज दिया जाता है। इससे उन्हें अपने कारोबार को फिर से शुरू करने में मदद मिलती है। इसके तहत ठेले वाले दुकानदार, नाई की दुकान, मोची, पान की दुकान, लॉन्ड्री सेवाओं को समाहित किया गया।
इसमें ठेले पर सब्जी वाले, फल वाले, चाय, पकौड़े, ब्रेड, अंडे, फूल बेचने वाले, कपड़े, दस्तकारी उत्पाद और किताबें-कॉपियां बेचने वाले दुकानदार शामिल हैं।
पीएम स्ट्रीट वैंडर्स आत्म निर्भर निधि योजना के जिला प्रोजैक्ट मैनेजर ओमप्रकाश कस्वां का कहना है कि कोरोनाकाल में रेहड़ी और थड़ी पर सामान बेचकर अस्थायी दुकानदारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पीएम मोदी ने यह स्कीम लागू की है।
लेकिन इलाके के बैंकों ने ऋण देने के लिए आनाकानी शुरू कर दी है। इस वजह से पात्र वेंडर्स को ऋण की सुविधा नहीं मिल रही है। अब उम्मीद है कि बैंक प्रबंधन इस योजना में सहयोग करेगा।
इधर, स्ट्रीट वैडर्स कमेटी सदस्य राकेश अरोड़ा का मानना है कि कोरोना काल से रेहड़ी, थड़ी और पटरी किनारे सामान बेचने वाले दुकानदारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री की इस स्कीम को बैंकों ने जानबूझकर ऋण नहीं दिया।
कर्जे की गारंटी नहीं होने के कारण बैंक प्रबंधक दिलचस्पी नहीं ले रहे है। उनको यह आंशका है कि कर्ज राशि वापस नहीं मिलेगी। एेसे में जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए।