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तीन साल की उम्र में उठ गया पिता का साया, गरीबी से लड़कर जीती चांदी

locationश्री गंगानगरPublished: Jan 16, 2019 04:18:17 pm

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Rajaender pal nikka

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 silver medal

तीन साल की उम्र में उठ गया पिता का साया, गरीबी से लड़कर जीती चांदी

राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में महाराष्ट्र से सिल्वर मैडल के साथ वापिस लौटी सुमित्रा

रायसिंहनगर. महज तीन साल की उम्र में पिता को खो देने वाली सुमित्रा एथलेटिक्स के ट्रेक पर इस कदर दौड़ी की गरीबी उसकी राहों की बाधा नहीं बन पाई। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगराणा की यह बेटी भले ही अभावों में पली बढ़ी लेकिन छोटी सी उम्र में ही खेल के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों ने राज्यभर में उसका नाम कर दिया। खेलो इंडिया के तहत महाराष्ट्र में आयोजित हुई खेल प्रतियोगिता में चक 83 आरबी की सुमित्रा ने सिल्वर मैडल जीता है।
सिल्वर जीतने के बाद वह पहली बार बुधवार को रायसिंहनगर पहुंची तो सरकारी स्कूलों के बच्चे उसके स्वागत में उमड़ पड़े। संगराणा सरकारी स्कूल के शारीरिक शिक्षक बलवीर सिंह के मार्गदर्शन में स्कूल की इस बेटी ने अब तक राज्य स्तर पर दो खेल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मैडल हासिल किये हैं। सुमित्रा का चयन राजस्थान की एथलेटिक्स टीम में हुआ जो उसने अपना जलवा दक्षिण भारत की धरती पर भी दिखाया। महाराष्ट्र के पूणे में आयोजित खेलो इंडिया के तहत उसने सिल्वर मैडल हासिल किया है।
चक 83 आरबी निवासी नत्थुराम कुम्हार की दोहिती सुमित्रा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगराणा में 11 वीं कक्षा की विद्यार्थी है। इससे पूर्व बांसवाड़ा में हुई राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सुमित्रा ने 1500 मीटर व 3000 मीटर दौड़ की प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते थे। इसी के साथ उसका चयन भी राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम में हो गया।
गरीब घर में जन्मी, ननिहाल में पढ़ रही———–

निहायत गरीब घर में जन्मी सुमित्रा ने महज तीन साल की उम्र में ही पिता को खो दिया था। रावला क्षेत्र में रहने वाली उसकी माता लोगों के घरों में दिहाड़ी मजदूरी कर अपना परिवार चला रही है। अपनी मां का साथ देते देते सुमित्रा ने जैसे तैसे कर दसवीं तो कर ली लेकिन आगे मां ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए पढ़ाने से इंकार कर दिया।
लेकिन सुमित्रा को कुछ और ही मंजूर था। उसने अपने नाना को यह सब बताया तो वो उसे अपने गांव 83 आरबी लेकर आए तथा संगराणा के सरकारी स्कूल में लगा दिया। संगराणा में कार्यरत शारीरिक शिक्षक बलवीर माहिच ने उसकी प्रतिभा को पहचाना तथा हाल ही में हुई खेल प्रतियोगिता में भेजा।
गरीबी से लड़ रही सुमित्रा को है मदद की दरकार————

निहायत ग्रामीण परिवेश के साथ ही अत्यंत गरीब परिवार की इस बेटी ने भले ही खेल के मैदान पर अपना जोहर दिखाया है लेकिन अपने हुनर को निखारने के साथ ही उचित प्रशिक्षण के लिए मदद की दरकार है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगराणा के स्टाफ ने भी हालांकि मदद की है लेकिन फिर भी उन्होंने आम लोगों से इस बच्ची की मदद की अपील भी की है ताकि उसकी प्रतिभा में निखार लाया जा सके।
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