ऐसे में बुजुर्ग ने अपने पौत्र और पौत्री को साथ रखने के लिए यहां पारिवारिक न्यायालय में पुत्रवधू शालीमार बाग कॉलोनी निवासी राजविन्द्र कौर, पुत्रवधू की मां रायसिंहनगर क्षेत्र गांव 8 केएसडी निवासी गुरनाम कौर और पुत्रवधू के पिता मोहनदास के खिलाफ दावा पेश किया। इससे पहले पंचायतें भी हुई, जो विफल रहीं। इधर, बुजुर्ग यह चाहता था कि उसके घर में बच्चे आ जाएं जिससे दिवगंत बेटे का गम कम हो सके। आखिरकार फैमिली कोर्ट के स्पेशल जज एलडी किराडू और काउसंलर परमजीत कौर जाखड़ व प्रियंका पुरोहित ने समाइश कराई तो दोनेां पक्ष राजी हो गए। इसके बाद पुत्रवधू बच्चों के साथ ससुराल में रहने के लिए राजी हो गई।
कड़वाहट हुई दूर, फिर से साथ रहने को तैयार
आपसी कहासुनी और कड़वाहट से अलग रहने को मजबूर कई दंपती गृहस्थी फिर से बसाने को तैयार हो गए। एसएसबी रोड गांव 3 ई छोटी निवासी मंजू पत्नी सन्नी नायक की शादी पिछले साल हुई, लेकिन गलतफहमी से फैमिली कोर्ट में तलाक की नौबत आई तो दोनों समझाइश से मान गए। इसी तरह बापूनगर इंदिरा चौक निवासी राजेश पुत्र इन्द्र कुमार धानक और उसकी पत्नी रमन धानक की शादी पांच साल पहले हुई। किन्ही कारणवश दोनों में कहासुनी हो गई और विवाह विच्छेद की याचिका दायर कर दी। चक 7 जैड मिर्जेवाला के गुरप्रीत सिंह और कुरुक्षेत्र हरियाणा निवासी कुलविन्द्र उर्फ नेहा के बीच तनाव ऐसा हुआ कि गृहस्थी छोड़कर विवाह विच्छेद याचिका दायर कर दी। इन मामलों में सुनवाई के दौरान दंपती राजीनामे से वापिस घर बसाने को तैयार हो गए।
दरार की वजह बना ‘अहम’
राजीनामे से हुए कई प्रकरणों के निस्तारण में सामने आया कि परिवारिक रिश्तों में दरार की वजह अहम मुख्य कारण रहता है। यह कहना है पारिवारिक न्यायालय की काउसंलर परमजीत जीत कौर जाखड़ का। अनुभव सांझा करते हुए उन्होंने बताया कि कई पत्रावलियों के संबंधित पक्षकारों की काउसंलिंग कराई गई तो यह पहलू सामने आया कि मामूली बात को भी हव्वा बना दिया गया जबकि ऐसी बातें पति और पत्नी मिलकर भी निपटा सकते थे।