कोरोना लॉक डाउन व पटाखों पर रोक के कारण दो साल से बंद पड़ी पटाखा फैक्ट्री में पिछले तीन-चार दिन से रौनक दिखने लगी है। यहां अब मजदूर काम करते नजर आ रहे हैं। पहले ये मजदूर अन्य स्थानों पर चले गए थे लेकिन अब उनको दीपावली तक रोजगार की व्यवस्था हो गई है। सरकार की ओर से ग्रीन पटाखे चलाने की छूट मिलने के बाद यहां ग्रीन अनार व पटाखे तैयार किए जा रहे हैं।
इससे पहले इस फैक्ट्री में फूलझडी, सूतली के बम, कुल्लड अनार सहित अन्य आइटम भारी मात्रा में तैयार होते थे। दीपावली के सीजन से कई माह पहले ही यहां फैक्टी में रौनक दिखाई देने लगती थी। जहां मजदूर पटाखे तैयार करते देखे जा सकते थे लेकिन बाद में कोरोना काल व रोक के कारण फैक्ट्री बंद हो गई थी और मजदूर यहां से अन्य मजदूरी के कार्यों में लग गए थे। यह मजदूर पटाखे बनाने में एक्सपर्ट होते हैं।
ग्रीन अनार कर रहे तैयार
– फैक्ट्री में पटाखा निर्माण मोहम्मद असलम का कहना है कि ग्रीन पटाखे चलाने पर सरकार की ओर से छूट दी गई है। जिसको देखते हुए यहां ग्रीन अनार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं लाइसेंस भी लेने के प्रयास चल रहे हैं। सरकार की ओर से तय मापदंड के अनुसार ग्रीन पटाखों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें शोरा व कोयला मिलाया जा रहा है।
वहीं एक अन्य रसायन जिग्नोलाइट मिलाया जाता है, जिससे पटाखे से निकलने वाले धुएं में 30 से 35 प्रतिशत की कमी आ जाती है। लेकिन ग्रीन पटाखों का लाइफ कम होती है। इसको एक साल या 15 माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जबकि पहले बनने वाले पटाखे दो से तीन साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकते थे।
सभी यही चाहते हैं कि पटाखों से प्रदूषण कम से कम हो। अनार के साथ ही एक अन्य पटाखा भी ग्रीन बनाने के प्रयास चल रहे हैं। अगले सीजन के लिए फरवरी-मार्च से यहां ग्रीन पटाखों का निर्माण किया जाएगा।