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खरीद गारंटी कानून बने तो फायदा

locationश्री गंगानगरPublished: Jul 06, 2018 08:41:49 am

Submitted by:

pawan uppal

-खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि के संबंध में ‘पत्रिका’ ने किसान संगठनों के नेतओं से बातचीत की तो सभी ने अलग-अलग राय व्यक्त की।

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खरीद गारंटी कानून बने तो फायदा

श्रीगंगानगर.

खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि के संबंध में ‘पत्रिका’ ने किसान संगठनों के नेतओं से बातचीत की तो सभी ने अलग-अलग राय व्यक्त की। कइयों ने मूल्य वृद्धि को किसान हित में बताया तो कइयों का कहना था कि किसान की लागत की तुलना में समर्थन मूल्य नाकाफी है। किसान नेताओं का यह भी कहना है कि सरकार समर्थन मूल्य तो घोषित कर देती है। लेकिन मंडी में किसान की उपज उस मूल्य पर नहीं बिकती। जमीनी हकीकत यही है। सरकारी खरीद से इत्तर कोई किसान अपनी उपज आढ़ती के माध्यम से बेचता है तो दाम समर्थन मूल्य से काफी कम मिलते हैं। समर्थन मूल्य में वृद्धि पर यहां प्रस्तुत है कुछ किसान नेताओं के विचार।

केन्द्र सरकार खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा कर किसानों से किए वादे को पूरा करने का दावा कर रही है। सरकार ने समर्थन मूल्य में वृद्धि करते समय मोटे अनाज जैसे बाजरा, मक्का और ज्वार आदि को विशेष महत्व दिया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो यह निर्णय सही है क्योंकि चिकित्सक भी अब खाद्यान्न के रूप में मोटे अनाज के उपयोग की सलाह देने लगे हैं। समर्थन मूल्य में वृद्धि केन्द्र सरकार की कृषि नीति का भी खुलासा करती है जो जहर मुक्त खेती को बढ़ावा देने वाली कदापि नहीं।
इससे तो रासायनिक खेती को ही बढ़ावा मिलेगा जो उत्पादन लागत को कम नहीं करेगी क्योंकि किसान की मानसिकता ज्यादा उत्पादन के लिए ज्यादा खाद और कीटनाशकों का उपयोग करने वाली बन गई है। खैर, समर्थन मूल्य में वृद्धि को किसान संगठन सही भी बता रहे हैं और गलत भी। इसके साथ-साथ किसान संगठन खरीद गारंटी कानून बनाए जाने की मांग भी कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने खरीफ फसलों के लिए जो समर्थन मूल्य घोषित किए हैं, उस मूल्य पर किसान की उपज बिकेगी ही नहीं तो मूल्य वृद्धि का क्या फायदा। बेहतर होगा कि सरकार कानून बनाए और उसे सख्ती से लागू भी कराए। किसानों को समर्थन मूल्य में वृद्धि का सही फायदा तो तभी मिलेगा।

फार्मूला सही नहीं, फिर भी सही
&खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा करते समय सरकार ने सही फार्मूला नहीं अपनाया। फिर भी सरकार ने जो मूल्य घोषित किए हैं, वह अच्छे हैं। बाजरी, मक्का और ज्वार जैसे मोटे धान के समर्थन मूल्य में जितनी वृद्धि की है, उससे यह फसलें किसान के लिए खेती का विकल्प बनेगी। मोटा धान स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। सरकार ऐसे धान के महत्व को स्थापित करना चाहती है जो अच्छी बात है। समर्थन मूल्य में वृद्धि यह संकेत भी दे रही है कि सरकार कम लागत वाली जैविक खेती की बजाय रासायनिक खेती को बढ़ावा देने की पक्षधर है। इससे तो किसान की उत्पादन लागत कम नहीं होगी और वह कर्ज के बोझ तले दबा रहेगा।
मनीराम पूनियां, प्रगतिशील किसान, सांवतसर
अच्छे प्रयास के साथ आशंका भी
किसानों के लिए केन्द्र सरकार ने पहली बार अच्छा प्रयास किया है। लेकिन आशंका खरीद को लेकर है। किसानों की उपज अगर समर्थन मूल्य पर नहीं बिकती है तो फिर मूल्य वृद्धि महज घोषणा ही साबित होगी। राजस्थान के लिए किसानों के लिए बाजरे का समर्थन मूल्य गेहूं से भी ज्यादा तय करना बड़ी बात है। बाजरा कम पानी से तैयार होने वाली फसल है और इसका उत्पादन प्रति बीघा गेहूं से ज्यादा है। अब इस क्षेत्र में भी बाजरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा। मूंग का समर्थन मूल्य भी किसान के हित में है। सरकार किसान की उपज का समर्थन मूल्य भी दिलाने की व्यवस्था करेगी तभी वादा पूरा होगा।
सत्यनारायण गोदारा, जोधपुर प्रांत उपाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ

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