पिछले तीन सालों में शहर के हर गली मोहल्ले में नगर परिषद और नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्षों ने शिलान्यास या लोकार्पण की पट्टिकाओं पर लाखों रुपए का बजट फूंक दिया लेकिन यह वर्तमान में किसी काम की साबित नहीं हुई है।
जैसे जैसे सडक़ या अन्य जगहों का निर्माण हुआ तो पुरानी पट्टिकाओं को उखाड़ दिया या मलबे में तब्दील करवा दिया गया। चहल चौक से लेकर पुरानी आबादी की जेसीटी मिल तक जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के नाम की पट्टिाकाओं की संख्या करीब एक हजार से अधिक पार हो चुकी है।
इन नाम वाली पट्टिाकाओं में बकायदा कोटा स्टोन का पत्थर लगाया जाता है ताकि कई सालों बाद राहगीर आसानी से पढ़ सके। इन पट्टिाकाओं को स्थापित करने का खर्चा संबंधित ठेका फर्म की ओर से वहन किया जाता है। इसका निर्माण कार्य में कोई जिक्र नहीं होता।
इस बीच शहर के जवाहरनगर, पुरानी आबादी, सेतिया कॉलोनी, ब्लॉक एरिया में सडक़ निर्माण, नाली निर्माण, पुली निर्माण, सडक़ के जीर्णोद्धार, सीसी रोड, पार्को के सौन्दर्यीकरण के नाम पर जब जब भी काम करवाए गए तब तब जनप्रतिनिधियों की नाम पट्टिकाओं को लगा दिया गया।
कई जगह तो पट्टिका लगाने के लिए लोगों के घरों और धार्मिक स्थल की दीवार तक टांग दी गई। इसका मकसद संबंधित जनप्रतिनिधि की ओर से कराए जाने वाले लोगों को संदेश देना था लेकिन मौजूदा दौर में इस पट्टिका स्थापित करने की स्पर्धा हो गई।
दो साल पहले यूआईटी के तत्कालीन अध्यक्ष संजय महिपाल ने शिलान्यास पट्टिकाओं के माध्यम से संदेश दिया तो नगर परिषद के तत्कालीन सभापति अजय चांडक ने चकाचक दिखने वाली पट्टिका लगाने की झड़ी सी लगा दी।
इधर, शहर के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले सुखाडिय़ा सर्किल और सुखाडिय़ा पार्क का लोकार्पण नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष राधेश्याम गंगानगर ने पहली बार कराया तो इसका लोकार्पण देश के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से करवाया था।
लेकिन इसके बाद न्यास की तत्कालीन अध्यक्ष सीमा पेड़ीवाल ने भारत माता प्रतिमा, ज्योति कांडा ने सुखाडिय़ा पार्क का जीर्णोद्धार, संजय महिपाल ने राष्ट्रीय ध्वज स्थापित करने के नाम पर पट्टिका स्थापित करवा दी।