पूर्व विधायक बेनीवाल को मंच पर जगह नहीं मिलने पर उठ रहे सवाल -
-विरोध होने पर जीकेएस के संयोजक ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाल कर कहा कि गलती हुई है इसको स्वीकार करते हैं

किसान महापंचायत...पूर्व विधायक बेनीवाल को मंच पर जगह नहीं मिलने पर उठ रहे सवाल
-विरोध होने पर जीकेएस के संयोजक ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाल कर कहा कि गलती हुई है इसको स्वीकार करते हैं
श्रीगंगानगर. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और कृषि जिन्सों की खरीद के लिए एमएसपी की गांरटी का कानून बनाने की मांग को लेकर तीन माह से किसान आंदोलन चल रहा है। शुक्रवार को पदमपुर में किसान महापंचायत हुई। इसमें पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल सहित अन्य किसान नेताओं को मंच पर नहीं बैठाने देने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय रेवाड़ ने शनिवार को फेसबुक पर एक फोटो के साथ लिखा कि पदमपुर किसान महापंचायत में पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल को मंच पर नहीं बैठने दिया, मंच से नीचे उतारा कोई बात नहीं, पर किसान आंदोलन कमजोर नहीं होना चाहिए। इनके इस तंज के बाद करीब 80 से अधिक लोगों ने इनकी इस पोस्ट पर बेनीवाल को मंच पर नहीं बैठाने को लेकर तल्ख टिप्पणियां करते हुए आयोजकों पर सवाल उठाए। इसको लेकर जीकेएस के संयोजक बैकफुट पर आ गए और उन्होंने इसकी सफाई भी दी। उल्लेखनीय है कि किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी व जोगेंद्र सिंह उगरांह सहित कई किसान नेता शामिल हुए।
कुछ नेताओं ने मंच पर जाने की कोशिश की
किसान महापंचायत में किसान आर्मी के मनिंद्र सिंह मान, किसान नेता गुरबलपाल सिंह संधू, पूर्व विधायक सोना देवी बावरी सहित कई किसान नेताओं को मंच पर जगह नहीं मिली थी। जबकि पृथीपाल सिंह संधू को पहले बता दिया गया कि आपने चुनाव लड़ा है। इसलिए आपको मंच पर जगह नहीं मिलेगी। इस कारण वो पदमपुर की बजाए घड़साना की किसान महापंचायत में दिखाई दिए। गौरतलब है कि 18 फरवरी को रायसिंहनगर में भी किसान महापंचायत हुई थी इसमें एक ही पार्टी से जुड़े लोगों का मंच पर कब्जा को लेकर सवाल उठे थे। इस कारण घड़साना में हुई किसान महापंचायत में इसमें सुधार देखने को मिला।
आंदोलन की आड़ में नेता बनना चाहते हैं
एडवोकेट नवरंग चौधरी ने लिखा कि ये विषय नहीं है असल तो मांगे हैं। जिनका समाधान होना चाहिए। आयोजकों की तुच्छ मानसिकता का आंदोलन पर असर नहीं होना चाहिए। नो सीखिए लोग हैं इस महान आंदोलन की आड़ लेकर नेता बनना चाहते हैं। शमशेर सिंंह बराड़ ने लिखा कि यह बहुत ही घटिया सोच है। जबकि हरेंद्र सिंह सेखों लिखते हैं कि शख्सियतें मंचों की मोहताज नहीं होती, बेनीवाल इलाके में किसान संघर्ष के पुरोधा रहे हैं। इसके अलावा भी कई लोगों ने इसको लेकर टिप्पणियां की।
किसानों को सावधान व सतर्क रहना होगा
पत्रिका व्यू---पंजाब-हरियाणा सहित अन्य राज्यों के किसान तीन माह से दिल्ली की बॉर्डर पर पड़ाव डाल कर आंदोलन कर रहे हैं। श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले के किसान भी किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहां पर किसान महापंचायतें हो चुकी है। इनमें किसानों की अच्छी भागीदारी रही है। किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने व एमएसपी का गांरटी कानून बनने को लेकर एकजुट हो रहा है। जबकि कुछ किसान नेता व राजनीति से जुड़े जनप्रतिनिधि किसान आंदोलन की आड़ में वोटों की खेती करना चाहते हैं। इनसे किसानों को सावधान रहना होगा। किसान,मजदूर व व्यापारी के वजूद की यह लड़ाई है। इसको संगठित होकर लडऩी होगी, लेकिन कुछ लोगों से किसानों को सावधान व सतर्क भी रहना होगा।
बड़ा आयोजन होने की वजह से गलतियां हमसे हुई हैं। हम उन गलतियों को खुले मन से स्वीकार करते हैं। पूर्व विधायक बेनीवाल जी हमारे बुजुर्ग नेता हैं और किसी एक संगठन या किसी एक दल के नहीं बल्कि हम सब के नेता हैं और सम्माननीय है और रहेंगे। इनको मंच पर बैठाना तय हुआ था लेकिन मौके से मैं इधर-उधर हो गया और बेनीवाल जी को मंच पर जगह नहीं मिल पाई। जबकि अन्य राजनीति से जुड़े लोगों को मंच पर नहीं बैठाने का निर्णय पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा ने तय कर रखा है। इसकी अनुपालना की है।
रणजीत सिंह राजू, संयोजक, ग्रामीण किसान-मजदूर समिति
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