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राजस्थान के पोषाहार से पनप रही दिल्ली की लैब, इतने रुपए का हो चुका भुगतान

locationश्री गंगानगरPublished: Dec 26, 2017 04:08:53 pm

Submitted by:

dinesh

144 सैम्पल भेजे, सभी की रिपोर्ट ‘ऑल इज वेल’…

food testing
श्रीगंगानगर। जिले के शहर हो या फिर दूर-दराज गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र, इन केन्द्रों पर आवंटित होने वाले पोषाहार की जांच के लिए जिला या प्रदेश स्तर पर नहीं बल्कि दिल्ली की एक प्राइवेट प्रयोगशाला को अधिकृत कर रखा है। पूरे राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रो को आवंंटित किए जाने वाले पोषाहार के सैम्पल की जांच यही लैब करती है। पिछले 13 महीनों में जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों से लिए गए 444 सैम्पलों को जांच के लिए दिल्ली की इस प्रयोगशाला में भिजवाया गया, लेकिन सभी रिपोर्ट एक जैसी है। एक ही कागज पर पोषाहार की पौष्टिकता की गुणवत्ता रिपोर्ट दी जा रही है। एक भी सैम्पल पर इस लैब ने गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को राज्य स्तर का बताकर चुप्पी साध गए हैं। अब तक 13 महीनों में सैम्पलों की जांच के नाम पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने चार लाख रुपए का भुगतान कर दिया है।
इसलिए है जांच रिपोर्ट पर संदेह
4 साल पहले राज्य सरकार ने रेडीमेड पोषाहार की परपंरा बंद कर स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूह को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार की सप्लाई का ठेका दिया था। ऐसे में प्रत्येक केन्द्र पर इन समूह की ओर से पोषाहार की सप्लाई की जाती है। बच्चों की संख्या के अनुरूप वितरित किए जाने वाले पोषाहार के एवज में भुगतान का अधिकार महिला पर्यवेक्षक को दिया गया है, वे ही सैम्पल जांच के लिए भेजे जाते हैं जिनकी गुणवत्ता अच्छी होती है।
हर साल तीस करोड़ रुपए का बजट
पूरे जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत बच्चों को पोषाहार आवंटन के नाम पर एक करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान हर महीने हो रहा है। गर्म पोषाहार का बजट मांग के अनुरूप अलग है, यह भी करीब सत्तर लाख रुपए हर महीने है। बेबी मिक्स पोषाहार और गर्म पोषाहार पर हर महीने राजकोष से ढाई करोड़ रुपए का भुगतान होता है। सालाना यह राशि 30 क रोड़ रुपए की है।
– यह सही है कि पिछले साल से राज्य सरकार के आदेश पर दिल्ली की प्राइवेट लैब में सैम्पल भिजवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें प्रत्येक ब्लॉक से जांच के दौरान लिए गए पोषाहार के सैम्पल की जांच कराई जाती है। मिलावट या अन्य के बारे में हमें नहीं पता। जैसा विभागीय उच्चाधिकारियों ने प्रयोगशाला संचालक के साथ अनुबंध किया है, उसके अनुरूप सैम्पल भिजवाए जाते है।
ऋषिबाला श्रीमाली, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रीगंगानगर।
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