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तीन साल की उम्र में उठ गया पिता का साया, गरीबी से लडकऱ जीता सिल्वर मेडल

locationश्री गंगानगरPublished: Jan 16, 2019 03:11:24 pm

Submitted by:

dinesh

राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में महाराष्ट्र से सिल्वर मैडल के साथ वापिस लौटी सुमित्रा…

Athletics
श्रीगंगानगर/रायसिंहनगर।


महज तीन साल की उम्र में पिता को खो देने वाली सुमित्रा एथलेटिक्स के ट्रेक पर इस कदर दौड़ी की गरीबी उसकी राहों में बाधा नहीं बन पाई। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगरणा की यह बेटी भले ही अभावों में पली-बढी, लेकिन छोटी सी उम्र में ही खेल के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों ने राज्यभर में उसका नाम कर दिया। खेलो इंडिया के तहत महाराष्ट्र में आयोजित हुई खेल प्रतियोगिता में चक 83 आरबी की सुमित्रा ने सिल्वर मेडल जीता है।
सिल्वर जीतने के बाद वह पहली बार बुधवार को रायसिंहनगर पहुंची तो सरकारी स्कूलों के बच्चे उसके स्वागत में उमड़ पड़े। संगराणा के सरकारी स्कूल शारीरिक शिक्षक बलवीर सिंह के मार्ग दर्शन में स्कूल की इस बेटी ने अब तक राज्य स्तर पर दो खेल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल हासिल किए है। सुमित्रा का चयन राजस्थान की एथलेटिक्स टीम में हुआ तो उसने अपना जलवा दक्षिण भारत की धरती पर भी दिखाया। महाराष्ट्र के पूणे में आयोजित खेलो इंडिया के तहत उसने सिल्वर मेडल हासिल किया है।
चक 83 आरबी निवासी नत्थुराम कुम्हार की दोहिती सुमित्रा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगराणा में 11वीं कक्षा की विद्यार्थी है। इससे पूर्व बांसवाड़ा में हुई राज्यस्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सुमित्रा ने 1500 मीटर व 3000 मीटर दौड़ की प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते थे। इसी के साथ उसका चयन भी राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम में हो गया।
गरीब घर में जन्मी, ननिहाल में पढ़ रही
निहायत गरीब घर में जन्मी सुमित्रा ने महज तीन साल की उम्र में ही पिता को खो दिया था। रावला क्षेत्र में रहने वाली उसकी माता लोगों के घरों में दिहाड़ी मजदूरी कर अपना परिवार चला रही है। अपनी मां का साथ देते देते सुमित्रा ने जैसे तैसे कर दसवीं तो कर ली, लेकिन आगे मां ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए पढ़ाने से इंकार कर दिया। लेकिन सुमित्रा को कुछ और ही मंजूर था। उसने अपने नाना को यह सब बताया तो वो उसे अपने गांव 83 आरबी लेकर आए तथा संगराणा के सरकारी स्कूल में लगा दिया। संगराणा में कार्यरत शारीरिक शिक्षक बलवीर माहिच ने उसकी प्रतिभा को पहचाना तथा हाल ही में हुई खेल प्रतियोगिता में भेजा।

गरीबी से लड़ रही सुमित्रा को है मदद की दरकार
निहायत ग्रामीण परिवेश के साथ ही अत्यंत गरीब परिवार की इस बेटी ने भले ही खेल के मैदान पर अपना जोहर दिखाया है लेकिन अपने हुनर को निखारने के साथ ही उचित प्रशिक्षण के लिए मदद की दरकार है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संगराणा के स्टाफ ने भी हालांकि मदद की है लेकिन फिर भी उन्होने आम लोगों से इस बच्ची की मदद की अपील भी की है ताकि उसकी प्रतिभा में निखार लाया जा सके।
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