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राजधानी पहुंचते ही हांफ जाती है राजस्थान पुलिस

locationश्री गंगानगरPublished: Aug 02, 2019 11:35:15 pm

Submitted by:

Raj Singh

पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी ध्वस्त नहीं हो पा रहा नशे की गोलियों का नेटवर्क

capital

राजधानी पहुंचते ही हांफ जाती है राजस्थान पुलिस

श्रीगंगानगर. पुलिस की ओर से नशे के खिलाफ चलाए जा रहे धरपकड़ अभियान में लगातार हो रही गिरफ्तारी व जब्ती की कार्रवाई के बाद भी गोलियों का आना रुक नहीं पा रहा है। पुलिस दिल्ली से सप्लायरों को पकड़ सकी है लेकिन इससे आगे नहीं पहुंच पा रही है।

पुलिस की पड़ताल में यह सामने आया है कि नशे की गोलियां दिल्ली व जयपुर से यहां पहुंचाई जा रही है। कुछ दवाओं में एनडीपीएस घटक पाए जाने पर काफी समय से नशे के लिए इस्तेमाल का चलन बढ़ता गया और लोगों ने पोस्त व अफीम का नशा छोडकऱ इस नशे की तरफ रूख किया। सालों से यह नशा लोगों के शरीर में रम गया। पुलिस को रोकथाम के लिए ड्रग कंट्रोल विभाग को साथ लेकर पहले जांच करानी पड़ती थी और इसके बाद इस पर कार्रवाई की जाती थी। इसके चलते बेखौफ नशा तस्कर जयपुर, दिल्ली से नशे की गोलियों की खेप लाने लगे थे। पुलिस अधिकारियों के प्रयासों के चलते कुछ दवाओं को एनडीपीएस में शामिल कर लिया गया।

करीब दो साल पहले इन दवाओं को इसमें शामिल करने के बाद पुलिस को सीधे कार्रवाई का अधिकार मिल गया और इसके बाद धड़ाधड़ कार्रवाई हुई और भारी मात्रा में नशे की गोलियां पकड़ी जाने लगे। पिछले डेढ़ साल में पुलिस ने लाखों की संख्या में नशे की गोलियां बरामद की और कई दर्जन व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद भी नशा तस्कर नशे की गोलियां ला रहे हैं। पुलिस की जांच राजधानी दिल्ली तक पहुंचने के बाद रुक जाती है। यहां से आगे पुलिस को कोई क्ल्यू नहीं मिल पाता है। यहां एजेंट दवाएं सप्लाई करते हैं लेकिन उनको दवाएं देकर जाने वाले का पता नहीं चल पाता है।

हाल ही पकड़ी थी 68 नशे की गोलियां
– पिछले दिनों पदमपुर कस्बे में नशा तस्कर गश्त पर निकली पुलिस जीप आने की भनक लगते ही नशे की 68 हजार गोलियां सडक़ किनारे लावारिस हालत में पटक कर फरार हो गए। अब पुलिस इन तस्करों की तलाश में जुटी हुई है। अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

डीआईजी ने मांगी रिपोर्ट
– बीकानेर रेंज डीआईजी जोस मोहन ने श्रीगंगानगर के दौरे के दौरान पुलिस अधिकारियों से नशे की गोलियां पकडऩे व गिरफ्तारी के बाद अंतिम तस्कर तक नहीं पहुंचने के बाद संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें पता चला है कि पुलिस की जांच में दिल्ली में रुकने पर दवाओं के पत्तों पर लिखे बैच नंबर के आधार पर आगे पता लगाया जाता है लेकिन यह दवा किस कंपनी को सप्लाई हुई इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसके लिए बड़ा कदम उठाने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर रही है।
— 12 माह में हुई कार्रवाई
माह-18 नशीली दवाईयां
जून-18 77760 गोली
जुलाई-18 41496 गोली
अगस्त 18 55296 गोली
सितंबर 18 32270 गोली
अक्टूबर 18 91370 गोली
नवंबर 18 104770 गोली
दिसंबर 18 1079780 गोली
जनवरी 19 293540 गोली
फरवरी 19 17345 गोली
मार्च 19 101995 गोली
अपे्रल 19 48780 गोली
मई 19 49984 गोली
इनका कहना है
– पुलिस दिल्ली से यहां नशे की गोलियां भेजने वालों को पकड़ लाती है लेकिन आगे जांच करने पर दवाओं के बैच बड़े होने के कारण कंपनी से खरीदने वाले व्यक्ति का पता नहीं चल पाता है। इसके लिए विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। पुलिस प्रयास कर ही है कि नशा सप्लायरों के अंतिम कड़ी तक पहुंचा जा सके।
-हेमंत शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर
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