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गजसिहपुर में आजादी से पहले से ही होता है रामलीला मंचन

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 01, 2019 06:53:06 pm

कस्बे रामलीला श्री महावीर ड्रामेटिक क्लब की ओर से हर साल रामलीला का मंचन करवाया जाता है। रामलीला की परम्परा यहां आजादी से पहले की है। पहले यहां दो रामलीलाओं का मंचन होता था। बाद में संयुक्त मंचन की परम्परा शुरू हुई। करीब 40-50 साल पहले पंडित द्वारका प्रसाद शर्मा ने महावीर ड्रामेटिक क्लब की स्थापना की गई। समय के साथ रामलीला में तकनीक का प्रयोग शुरू हुआ।

गजसिहपुर में   आजादी से पहले से ही होता है रामलीला मंचन

गजसिहपुर में आजादी से पहले से ही होता है रामलीला मंचन

गजसिहपुर. कस्बे रामलीला श्री महावीर ड्रामेटिक क्लब की ओर से हर साल रामलीला का मंचन करवाया जाता है। रामलीला की परम्परा यहां आजादी से पहले की है। पहले यहां दो रामलीलाओं का मंचन होता था। बाद में संयुक्त मंचन की परम्परा शुरू हुई। करीब 40-50 साल पहले पंडित द्वारका प्रसाद शर्मा ने महावीर ड्रामेटिक क्लब की स्थापना की गई। समय के साथ रामलीला में तकनीक का प्रयोग शुरू हुआ। हनुमान का उड़ते हुए संजीवनी लाना ,अहिरावण का धरती के नीचे से निकलना ,ताड़का के दृश्य आदि लोगो को खूब लुभाते है। स्वच्छता ,भ्रूण हत्या व नशे सम्बन्धी सन्देश भी छोटे नाटिकाओं के माध्यम से दिए जाते है। व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष मंगत राय शर्मा 1974 से राम, दशरथ की भूमिका करते आ रहे है। उनका भाव पूर्ण अभिनय दर्शकों को भाव विभोर कर देता है। 20 साल से राजकुमार गिरधर का अहिरावण का रोल अलग पहचान बना चुका है। हनुमान का अभिनय संजय जुनेजा करते हैं। लंकादहन पर लंका का विशेष सेट तैयार किया जाता है। आकाश मार्ग से संजीवनी लाने का रोमांचकारी दृश्य होता है। सीता की भूमिका शिवचरण द्वारा निभाई जा रही है।
पीढ़ी दर पीढ़ी जुड़े है कई परिवार
राम का अभिनय करने वाले मंगतराय शर्मा के पिता स्व. विद्यासागर शास्त्री लम्बे समय तक रावण की भूमिका निभाते रहे। इनके चाचा पंडित द्वारका प्रसाद शर्मा भी क्लब संस्थापक होने के साथ दशरथ व रावण का अभिनय करते रहे। इस समय हनुमान की भूमिका करने वाले संजय जुनेजा के पिता स्व प्रेम जुनेजा भी हनुमान का अभिनय करते थे। बुजुर्ग सदस्य सुरेंद्र शर्मा दशरथ की भूमिका करते आ रहे र्हं अब उनके पुत्र दिनेश शर्मा इस मंच पर है। क्लब संरक्षक हरद्वारी लाल गिरधर हैं। क्लब में सबसे बुजुर्ग है। करीब साल के हरद्वारी लाल आज भी रामलीला को पूरा समय देते हैं। साथ ही इस परिवार की तीन पीढियां एक साथ रामलीला से जुड़ी हुई है। उनके दोनों बेटे बालकिशन व राजकुमार के साथ पोते कुणाल भी मंच पर कई रोल अदा करते है।

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