गीता ने बताया कि वह दो घंटे नियमित पढ़ती थी और स्कूल जाती थी। पढ़ाई का समय निश्चित नहीं था। सोशल मीडिया का कभी उपयोग ही नहीं किया। गीता ने सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। वह आइएएस बनना चाहती है।
तीन किमी दूर है स्कूल
गीता जयपाल अपने चक से करीब तीन किमी दूर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोरावरसिंहपुरा में पढऩे जाती थी। गीता के पिता मंगलाराम जयपाल दर्जी और माता संगीता जयपाल गृहिणी है। महज चार बीघा जमीन है, जिसमें से दो बीघा बारानी है। गीता पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम में भी हाथ बंटाती है।
गीता जयपाल अपने चक से करीब तीन किमी दूर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोरावरसिंहपुरा में पढऩे जाती थी। गीता के पिता मंगलाराम जयपाल दर्जी और माता संगीता जयपाल गृहिणी है। महज चार बीघा जमीन है, जिसमें से दो बीघा बारानी है। गीता पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम में भी हाथ बंटाती है।
गीता ने कक्षा 10 में 90.17 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। गीता ने बताया कि उसे अपनी बड़ी बहन ममता जयपाल से प्रेरणा मिली, जो फिलहाल प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रही है। 98.40 %, तीन विषय में 100 में से 100
सीकर की दो बेटियों ने बारहवीं कला वर्ग के परिणाम में 98.40 फीसदी अंक प्राप्त किए। छात्रा सावित्री कंवर व रजनी सिद्ध ने 98.40 फीसदी अंक हासिल कर रेकार्ड बनाया है। खास बात है कि दोनों बचपन से अच्छी दोस्त है और एक ही स्कूल में पढ़ती है व हर परीक्षा में नंबर भी एक जैसे ही अंक आते है। कक्षा दसवीं में भी दोनों बेटियों ने 94 फीसदी अंक हासिल किए थे।
सीकर की दो बेटियों ने बारहवीं कला वर्ग के परिणाम में 98.40 फीसदी अंक प्राप्त किए। छात्रा सावित्री कंवर व रजनी सिद्ध ने 98.40 फीसदी अंक हासिल कर रेकार्ड बनाया है। खास बात है कि दोनों बचपन से अच्छी दोस्त है और एक ही स्कूल में पढ़ती है व हर परीक्षा में नंबर भी एक जैसे ही अंक आते है। कक्षा दसवीं में भी दोनों बेटियों ने 94 फीसदी अंक हासिल किए थे।
बेटियों का कहना है कि हमारा सपना अब एक साथ आइएएस बनना है। पालवास रोड स्थित प्रिंस स्कूल में पढ़ाई करने वाली छात्राओं ने सफलता का श्रेय स्कूल निदेशक व शिक्षकों को दिया है।