‘प्रेम और श्रद्धा से वश में होते हैं भगवान’
‘प्रेम और श्रद्धा से वश में होते हैं भगवान’
कथावाचक दिनेश ओझा ने कहा है कि भगवान निर्मल मन में वास करते हैं। वे जात बिरादरी, धन या उम्र नहीं देखते। प्रेम और श्रद्धा से उन्हें वश में किया जा सकता है। वे बुधवार को कच्ची थेड़ी स्थित बाबा रामदेव मंदिर (बड़ा) में जारी श्रीमद् भागवत कथा में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बालक धु्रव का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है। कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक धु्रव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक धु्रव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया। यह देखकर सुरुचि उसे वहां से उठाते हुए कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक धु्रव को यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि ब्रह्मांड में अटल पदवी भी दी। आज भी धु्रव तारा अपने स्थान पर अटल रहते हुए चमक बिखेरता है। कथा के दौरान आचार्य ने भक्ति रचनाएं सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने के लिए विवश कर दिया। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
मंदिर समिति के संरक्षक श्योपत रेवाड़ ने बताया कि 19 मई तक कथा चलेगी। अगले दिन हवन
यज्ञ होगा।
Home / Sri Ganganagar / ‘प्रेम और श्रद्धा से वश में होते हैं भगवान’