जनप्रतिनिधियों की सिफारिश इन दुकानदारों के जेब में थी तो आयुक्त और प्रशासनिक अधिकारी खामोश हो गए है। हालांकि इस रास्ते को खुलवाने और दोनों गेट तोडऩे को लेकर पार्षद संदीप शर्मा लंबे समय से प्रयासरत है। आयुक्त सुनीता चौधरी ने सतर्कता प्रकोष्ठ के प्रभारी अधिकारी को होलसेल मार्केट जूता में लगाए गए दोनों गेटों को उखाडऩे के लिए कलक्टर से कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किए जाने का आग्रह भी किया।
तब आयुक्त का दावा था कि इस रास्ते की आवाजाही होने से जवाहरनगर, हाउससिंग बोर्ड, अशोकनगर, गुरुनानक बस्ती, इंदिरा कॉलोनी, एसएसबी रोड पर बसी अधिकांश बस्तियों के लोगों को अब सुखाडिय़ा सर्किल से बाजार आने की जरुरत नहीं पड़ेगी। पुरानी शुगर मिल के रेलवे फाटक पर बने आरयूबी से अबोहर क्षेत्र या पुलिस लाइन एरिया में और इस आरयूबी के पास होलसेल मार्केट के अंदर से रेलवे स्टेशन तक सीधा आने का रास्ता राहगीरों के लिए हो जाएगा। ऐसे में यातायात व्यवस्था सुधरेगी।
तब यूआईटी ने खर्च किया था सड़क निर्माण पर बजट
पिछले साल आजाद टाकीज रेलवे फाटक बंद होने के बाद आसपास दुकानदारों ने सूचना के अधिकार कानून के तहत नगर विकास न्यास के सरकारी दस्तावेज खंगाले जहां से कुछ मदद मिल सकती थी। आखिर नगर विकास न्यास में मई 2018 में वह दस्तावेज मिल गया जिससे रेलवे स्टेशन का रास्ता मीरा मार्ग तक जोडऩे का है, इसमें बताया गया कि वर्ष 2008 में ततकालीन सांसद ने एमपी कोटे से होलसेल मार्केट जूता में सार्वजनिक सड़क निर्माण का कार्य करवाया गया था। यह सड़क मैसर्स अमित कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 7 लाख 70 हजार 378 रुपए में बनाई थी। नियमानुसार किसी एमपी या एमएलए लैण्ड से बनाई गई सड़क को सार्वजनिक माना जाता है, यह आम आदमी के लिए इस्तेमाल हो सकती है। इस मुद्दे पर आखिर परिषद आयुक्त को यह कार्रवाई करनी पड़ रही है।