श्रीकरणपुर. संत करुणा के समुद्र होते हैं और उनका स्वभाव ही सहज कृपा करना है। यह बात बुधवार को कस्बे के बाहर श्रीगंगानगर मार्ग पर स्थित शिव कुटिया (श्री सन्यास आश्रम) में हुए आयोजन के दौरान गद्दीनशीन महंत लोकेशानंद गिरी जी महाराज ने कही।
महंत ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष आंधी, बरसात व अन्य विषम परिस्थितियां सहकर भी अपना फल दूसरों को देते हैं। उसी प्रकार सच्चा संत भी हमेशा लोक कल्याण व परोपकार की भावना रखता है और और मानव को प्रेम व भक्ति का मार्ग दिखाता है। यही कारण है की संत की तुलना भगवान से की गई है। सेवादार कजोड़मल मीणा ने बताया कि स्वामी परमानंद दुधाधारीजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
महंत ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष आंधी, बरसात व अन्य विषम परिस्थितियां सहकर भी अपना फल दूसरों को देते हैं। उसी प्रकार सच्चा संत भी हमेशा लोक कल्याण व परोपकार की भावना रखता है और और मानव को प्रेम व भक्ति का मार्ग दिखाता है। यही कारण है की संत की तुलना भगवान से की गई है। सेवादार कजोड़मल मीणा ने बताया कि स्वामी परमानंद दुधाधारीजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।