ऐसे में न्यास प्रशासन ने नेशनल हाइवे के माध्यम से पेड़ों को हटाने की मांग करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र वन विभाग के जयपुर स्थित निदेशालय से मांगा है। करीब सवा महीने से चल रहे इस एनओसी दिए जाने के मामले में वन विभाग ने चुप्पी साध ली है। वहीं न्यास प्रशासन की इस प्रकरण में जमकर किरकिरी हो चुकी है।
क्या बड़े हादसे का इंतजार
नगर विकास न्यास और जिला प्रशासन ने सर्विस रोड को बीच में बंद किए जाने के बाद अपनी गलती स्वीकारी तक नहीं है। यहां तक कि हाइवे के दोनों साइडों में हालात पहले की तुलना में अब अधिक खराब हो गए है। एक साइड में निर्माण के लिए उखाड़ी गई मिट्टी के कारण हाइवे किनारे कभी भी वाहनों के पलटने की आंशका बनी हुई है।
दूसरी ओर कुछ दूरी तक हाइवे किनारे डिवाइडर बनाकर उन दुकानदारों को फायदा पहुंचाया है जो सरेआम अपनी दुकानों के आगे भवन निर्माण सामग्री बेच रहे है। इन दुकानदारों ने न्यास अध्यक्ष पर ऐसा दवाब बनाया कि हाइवे किनारे डिवाइर पर लोहे की जालियों की बाध्यता को सड़क निर्माण की शर्त से हटा दिया है। इंटरलोकिंग टाइल्स से इस सर्विस रोड का खानापूर्ति बनाने का काम किया लेकिन अब एनओसी नहीं आने के कारण अटक गया है।
एनओसी के कारण रोड का निर्माण नहीं हो सकता
न्यास के एक्सईएन संदीप नागपाल ने स्वीकारा किया कि एनओसी के कारण यह सर्विस रोड का निर्माण नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि एनओसी आने के तत्काल बाद निर्माण कराने में देर नहीं करेंगे। यह एनओसी कब तक आएगी, इस सवाल पर एक्सईएन नागपाल का कहना था कि यह बताना मुश्किल है लेकिन आएगी जरूर। यदि किसी कारणवश नहीं आती है तो यह सर्विस रोड नहीं बन पाएगी।