सात साल पहले चक 6 जैड के ग्रामीणों की संघर्ष समिति को नगर परिषद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने सुलह कराते हुए लिखित में आश्वासन दिया था। यह समझौता 6 जून 2015 को नगर परिषद के तत्कालीन सभापति अजय चांडक, तत्कालीन आयुक्त मिलखराज चुघ, तत्कालीन एक्सईएन संदीप नागपाल, तत्कालीन राजस्व अधिकारी महेश कुमार, पूर्व सभापति जगदीश जांदू, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता वेदप्रकाश सहारण, यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा विधायक राजकुमार गौड़, तत्कालीन पार्षद डा.भरतपाल मय्यर, प्रेम नायक की कमेटी ने ग्यारह सूत्री मांग पत्र का लिखित में आश्वासन दिया था।
लेकिन अब तक इस स्थल पर हडडारोड़ी स्थल का दाग अब तक नहीं मिट पाया हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जमाबंदी में अब भी नगर परिषद की कुल साढ़े बारह बीघा भूमि में से दो बीघा भूमि हड्डारोड़ी के लिए आरक्षित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस समझौते को लागू किया जाता तो अब तक कचरे का स्थायी समाधान हो सकता था लेकिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।यह हुआ था समझौता
इस सुलह में लिखित आश्वासन दिया गया कि तीन माह में हडडारोड़ी स्थल का अन्य जगह करने, कारकस प्लांट के लिए अन्य जगह उपलब्ध होने पर कारकस प्लांट लगाने, दो बीघा भूमि की दीवार पांच फीट ऊंची करने, मृत पशुओं को वहां नहीं डालने के संबंध में ठेकेदार को पाबंद करने आदि की विभिन्न मांगों को शामिल किया गया था।इधर, ग्राम पंचायत नेतेवाला ने प्रस्ताव पारित कर नगर परिषद प्रशासन को रिपोर्ट भेजी थी
।इ समें बताया गया कि 20 जुलाई 215 को नेतेवाला के सिंचाई विभाग के विश्राम गृह में या उसके आपास कचरा संग्रहण प्लांट नहीं लगाया जाएगा। तत्कालीन सरपंच सुनीता मायल ने इस संबंध में प्रस्ताव की कॉपी नगर परिषद और जिला प्रशासन को भी भिजवाई थी।