यह घटना पदमपुर क्षेत्र में करीब सात साल पहले हुई थी। इस प्रकरण की सुनवाई यहां पोक्सो मामलों की स्पेशल कोर्ट संख्या दो में हुई। इस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरुण कुमार अग्रवाल द्वितीय ने यह निर्णय दिया है। Sexual abuse made by minor sister-in-law was costly, ten years rigorous imprisonment
विशिष्ट लोक अभियोजक नवप्रीत कौर ने बताया कि पीडि़ता के पिता 2 जनवरी 2015 को पदमपुर थाने में मामला दर्ज कराया। इसमें बताया कि उसकी बड़ी बेटी की शादी की थी। बड़ी बेटी का पति अक्सर घर आता तो अच्छी खातिरदारी की जाती।
बड़े दामाद की नजर उसकी छोटी बेटी पर पड़ गई और दोनों बातें करने लगे। उसका दामाद उसकी छोटी बेटी को बहलाफुसलाकर भगा ले गया। पीडि़ता की आयु पन्द्रह साल छह माह बीस दिन की थी।
पदमपुर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच की तो यह आरोपी बीकानेर क्षेत्र नोखा मंडी में किराये का मकान लेकर अपनी साली को बतौर पत्नी बनाकर ठहरा हुआ था। पुलिस ने इस आरोपी को गिर$फ्तार कर पीडि़ता का मेडीकल मुआयना कराया गया।
पुलिस के समक्ष पीडि़ता ने स्वेच्छा से बात जाने की बात कही। लेकिन नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसकी यह दलील नहीं मानी और आरोपी के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। अदालत ने आईपीसी की धारा 363 में पांच साल कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इसी प्रकार आईपीसी की धारा 366 में पांच साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया। वहीं आईपीसी की धारा 376 2 आई में दस साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माना, पोक्सो एक्ट की धारा 5 एल व धारा 6 में दस साल कठोर कारावास व पच्चीस हजार रुपए का जुर्माना, पोक्सो एक्ट की धारा 5 एन व धारा 6 में दस साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
Sexual abuse made by minor sister-in-law was costly, ten years rigorous imprisonment इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान 28 दस्तावेज पेश हुए जबकि 16 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे।