महज एक सप्ताह बाद दीपावली है, लेकिन बाजार में पटाखों की दुकानें अभी तक नहीं सजी हैं। बाजारों में उन ही दुकानों पर रौनक है जहां चोरी से पटाखों की बिक्री की जा रही है।मंडियों में भी गुपचुप तरीके से यह धंधा चल रहा है। इसके विपरीत सोशल मीडिया में ऐसे मैसेज अभी से आने लग गये हैं जैसे दीपावली आज या कल ही हो, लेकिन बाजार में पटाखों की बिक्री शुरू नहीं हुई है। नियमानुसार अस्थायी लाइसेंस मिलने के उपरांत ही दुकानदार दुकानें सजाते हैं, लेकिन पिछले एक महीने से चक्कर काटने के बावजूद दुकानदारों को अभी तक अस्थायी लाइसेंस जारी नहीं हो पाए हैं। ऐसे में आगामी दिनों में क्या स्थिति रहेगी, इस सवाल पर दुकानदार निरूत्तर हो जाते हैं। दुकानदार प्यारेलाल की मानें तो नोटबंदी से पहले ही बाजार ठंडा था, फिर जीएसटी ने कमर तोड़ दी। अब चाइनीज पटाखों के विरोध करने वाले लोग प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में पटाखों का बाजार कैसा रहेगा, इसको लेकर संशय बरकरार है। पटाखों के अस्थायी लाइसेंस जारी नहीं होने के कारण दुकानदारों के समक्ष कमाई का संकट खड़ा होने लगा है। रही सही कसर ऑनलाइन शॉपिंग ने पूरी कर दी है, जिस कारण पहले ही स्थानीय बाजार में सुस्ती छाई हुई है।
दुकानदारों का कहना है कि अस्थायी लाइसेंस के लिए पुलिस, फायर बिग्रेड और कलक्ट्रेट के इतने चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जैसे मुफ्त में दुकान आवंटित की जा रही हो और उसकी रजिस्ट्री भी फ्री में हो रही हो।
पुलिस थाना प्रभारी और फायर ऑफिसर संबंधित अस्थायी लाइसेंस दुकानदार की दुकान की जांच करते हैं। आग लगने की घटना के दौरान बचाव के रास्ते और सुविधा का मौका देखा जाता है, लेकिन पुलिस आपराधिक मामलों में व्यस्त रहती है। पुलिस के अधिकारी या कार्मिक समय मिलने पर जांच करते हैं और मौके की रिपोर्ट बनाकर कलक्ट्रेट भिजवाते हैं। यही स्थिति फायर बिग्रेड की है। फायर ऑफिसर मौका देखने के बाद ही अपनी टिप्पणी अंकित कर रिपोर्ट तैयार करता है। ऐसे में इन दोनों महकमों की प्रक्रिया में कम से कम एक सप्ताह का समय लग रहा है।