scriptसोशल मीडिया में छाये पटाखे, बाजारों में दुकानों का नाम तक नहीं | shops of crackers still not set up in markets | Patrika News

सोशल मीडिया में छाये पटाखे, बाजारों में दुकानों का नाम तक नहीं

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 10, 2017 09:55:08 pm

Submitted by:

vikas meel

आज हम आपको एक ही समय के दो अलग-अलग हालातों से रू-ब-रू करवा रहे हैं। मामला दीपावली के मद्देनजर पटाखों से जुड़ा है।

gol bazaar

gol bazaar

श्रीगंगानगर।

आज हम आपको एक ही समय के दो अलग-अलग हालातों से रू-ब-रू करवा रहे हैं। मामला दीपावली के मद्देनजर पटाखों से जुड़ा है। एक याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने निर्णय सुनाते हुए दिल्ली-एनएनसीआर में 31 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। एनसीआर में राजस्थान के अलवर व भरतपुर का कुछ इलाका भी शामिल है। मामला प्रदूषण से जुड़ा है। अस्थायी और स्थायी पटाखा लाइसेंस तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं। लाखों रुपये के पटाखों के ऑर्डर देकर दुकान सजाये बैठे हजारों पटाखा व्यावसायियों के अरमानों पर पानी फिर गया है। दूसरी तस्वीर हमारे ही शहर श्रीगंगानगर की है, जहां के निवासी सोशल मीडिया पर अभी से दीपावली मना रहे हैं, कृत्रिम पटाखों के वीडियो और फोटोज मित्रों और ग्रुप्स में शेअर कर रहे हैं, जबकि हालात इसके विपरीत हैं। मृग मरीचिका जैसा माहौल बना हुआ है। दीपावली में चंद दिन ही शेष रहे हैं, लेकिन शहर के बाजारों से पटाखों की दुकानें नदारद हैं। पटाखा व्यापारी निराश और हताश हैं, लेकिन श्रीगंगानगर में मुद्दा प्रदूषण का नहीं है, जीएसटी की मार और अस्थायी लाइसेंस लेने की पेचीदगियों के कारण दुकानदार इस बार लाइसेंस लेने से कन्नी काट रहे हैं। एक माह पूर्व आवेदनकर्ताओं को आज तक पटाखा विक्रय के लाइसेंस नहीं मिल सके हैं।

महज एक सप्ताह बाद दीपावली है, लेकिन बाजार में पटाखों की दुकानें अभी तक नहीं सजी हैं। बाजारों में उन ही दुकानों पर रौनक है जहां चोरी से पटाखों की बिक्री की जा रही है।मंडियों में भी गुपचुप तरीके से यह धंधा चल रहा है। इसके विपरीत सोशल मीडिया में ऐसे मैसेज अभी से आने लग गये हैं जैसे दीपावली आज या कल ही हो, लेकिन बाजार में पटाखों की बिक्री शुरू नहीं हुई है। नियमानुसार अस्थायी लाइसेंस मिलने के उपरांत ही दुकानदार दुकानें सजाते हैं, लेकिन पिछले एक महीने से चक्कर काटने के बावजूद दुकानदारों को अभी तक अस्थायी लाइसेंस जारी नहीं हो पाए हैं। ऐसे में आगामी दिनों में क्या स्थिति रहेगी, इस सवाल पर दुकानदार निरूत्तर हो जाते हैं। दुकानदार प्यारेलाल की मानें तो नोटबंदी से पहले ही बाजार ठंडा था, फिर जीएसटी ने कमर तोड़ दी। अब चाइनीज पटाखों के विरोध करने वाले लोग प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में पटाखों का बाजार कैसा रहेगा, इसको लेकर संशय बरकरार है। पटाखों के अस्थायी लाइसेंस जारी नहीं होने के कारण दुकानदारों के समक्ष कमाई का संकट खड़ा होने लगा है। रही सही कसर ऑनलाइन शॉपिंग ने पूरी कर दी है, जिस कारण पहले ही स्थानीय बाजार में सुस्ती छाई हुई है।
रजिस्ट्री कराने जैसी प्रक्रिया
दुकानदारों का कहना है कि अस्थायी लाइसेंस के लिए पुलिस, फायर बिग्रेड और कलक्ट्रेट के इतने चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जैसे मुफ्त में दुकान आवंटित की जा रही हो और उसकी रजिस्ट्री भी फ्री में हो रही हो।
मनमर्जी और समय पर निर्भर रिपोर्ट
पुलिस थाना प्रभारी और फायर ऑफिसर संबंधित अस्थायी लाइसेंस दुकानदार की दुकान की जांच करते हैं। आग लगने की घटना के दौरान बचाव के रास्ते और सुविधा का मौका देखा जाता है, लेकिन पुलिस आपराधिक मामलों में व्यस्त रहती है। पुलिस के अधिकारी या कार्मिक समय मिलने पर जांच करते हैं और मौके की रिपोर्ट बनाकर कलक्ट्रेट भिजवाते हैं। यही स्थिति फायर बिग्रेड की है। फायर ऑफिसर मौका देखने के बाद ही अपनी टिप्पणी अंकित कर रिपोर्ट तैयार करता है। ऐसे में इन दोनों महकमों की प्रक्रिया में कम से कम एक सप्ताह का समय लग रहा है।
चाइनीज की खिलाफत भी मुसीबत

-चाइनीज और देसी दोनों प्रकार के पटाखों की बिक्री होती है, लेकिन ज्यादा फायदा चाइनीज पटाखों की बिक्री में है। देसी पटाखों में ब्रांडेड पटाखों की कीमत अधिक है, ऐसे में दुकानदार ग्राहकों की जेब को देखते हुए चाइनीज पटाखें को अधिक प्राथमिकता देते हैं, लेकिन वर्तमान में चाइनीज सामान के खिलाफ चल रहे आंदोलनों से चाइनीज पटाखों की खरीदे से परहेज करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या बढऩे की भी आशंका है, जिस कारण बिक्री पर असर पड़ सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो