श्रीगंगानगर. कपास पट्टी के नाम से विख्यात श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में इस बार नहरबंदी की वजह से कॉटन की बुवाई प्रभावित होगी। जल संसाधन विभाग ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आइजीएनपी) में 60 दिन और बीकानेर कैनाल (गंगनगर) में 20 दिन की नहरबंदी ली गई है। नहरबंदी की वजह से श्रीगंगानगर जिले में 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में कॉटन की बुवाई कम हो पाएगी। आइजीएनपी में साठ दिन की नहर बंदी में किसान को मुश्किल से 70 दिन बाद सिंचाई पानी मिलेगा। जब तक कॉटन की बुवाई का समय निकल चुका होगा। आइजीएनपी व भाखड़ा नहर परियोजना क्षेत्र में देशी कपास व बीटी कॉटन की पिछले वर्ष एक लाख 4 हजार 818 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हुई थी। इस बार नहरबंदी की वजह से ट्यूबवैल से बहुत कम कॉटन की बुवाई हो पाएगी।
जबकि गंगनगर में देशी कपास की बुवाई प्रभावित होगी। बीटी कॉटन की बुवाई अपेक्षाकृत कम प्रभावित होगी। गंगकैनाल में अप्रेल में किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाएगा। जबकि मई में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। मई में किसान गंगकैनाल क्षेत्र में बीटी कॉटन की बुवाई कर सकेगा। लेकिन किसान के समक्ष संकट की स्थिति होगी। किसान बागवानी की फसल को बचाने के लिए पानी देगा या फिर ग्वार व मूंग की फसल की बुवाई करेगा।
कृषि अनुसंधान अधिकारी शस्य मिलिंद सिंह का कहना है कि नहरबंदी की वजह से आइजीएनपी और भाखड़ा नहर परियोजना क्षेत्र में कॉटन की बुवाई प्रभावित होगी। जिस किसान के खेत में जल भंडारण के लिए डिग्गी का निर्माण कर रखा है। वह किसान पानी का भंडारण कर पाया है या ट्यूबवैल आदि का पानी का भंडारण कर कॉटन की बुवाई कर सकता है। ट्यूबवैल चलाने पर किसानों को अतिरिक्त राशि खर्च करनी होगी।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि श्रीगंगानगर जिले में ग्वार का भाव अधिक होने पर किसानों ने कॉटन की खेती को छोड़ कर ग्वार की खेती ज्यादा करना शुरू कर दिया। जबकि अब पिछले दो-तीन वर्षों से फिर से किसानों का रूझान कॉटन की तरफ बढऩे लगा।
-देशी कॉटन-एक से 30 अप्रेल -बीटी कॉटन-पांच मई से 25 मई
— नहरबंदी कब कहां पर
-आइजीएनपी-30 मार्च से 30 जून -गंगनगर- 5 से 25 अप्रेल
—— खरीफ 2020 में कॉटन की बुवाई
-कॉटन की बुवाई-1 लाख 80 हजार 958 हेक्टेयर
-भाखड़ा- 21 हजार 919 हेक्टेयर -गंगकैनाल-76 हजार 770 हेक्टेयर
क म हो पाएगी कॉटन की बुवाई आइजीएनपी और भाखड़ा में नहरबंदी की वजह से कॉटन की बुवाई प्रभावित हुई। श्रीगंगानगर जिले में 90 हजार हेक्टेयर कॉटन की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम बुवाई हो पाएगी। जब सिंचाई पानी किसान को मिलेगा, तब मूंग व ग्वार की बुवाई का सीजन होगा।
जीआर मटोरिया, सहायक निदेशक (कृषि विस्तार),श्रीगंगानगर।