श्रीगंगानगर जिले के बरोर में हड़प्पा कालीन सभ्यता से पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। ऐतिहासिक गुरुद्वारा बुड्ढ़ा जोहड़, डाबला में बिश्नोई धर्म का आस्था स्थल, लैला-मजनूं की मजार और हिन्दुमल कोट में सीमा सुरक्षा बल की चौकी और वहां पुराने रेलवे स्टेशन के अवशेषों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो पर्यटन की संभावना बढ़ सकती है।
हनुमानगढ़ जिले में भी कालीबंगा, भद्रकाली, गोगामेड़ी, रावतसर गढ़ और पल्लू सहित कई ऐसे स्थल हैं जो पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने दोनों जिलों के इन स्थलों को शामिल करते हुए साझा पर्यटन सर्किट बनाने के निर्देश बीकानेर से आए पर्यटन विभाग के अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि इन स्थलों का रोड मैप बनेगा तो पर्यटकों की आमद बढ़ेगी।
इन पर भी हुआ विचार
श्रीगंगानगर जिले में बॉर्डर टूरिज्म की संभावना देखते हुए हिन्दुमलकोट में वार और रेल म्यूजियम तथा गंगनहर के शिवपुर हैड पर म्यूजियम बनाने पर विचार हुआ। इनके अलावा सीमा सुरक्षा बल की क्यू हैड सीमा चौकी पर म्यूजियम बनाने, नग्गी सीमा चौकी के पास वार मैमोरियल के आसपास कैमल सफारी पर भी चर्चा हुई। लेकिन इससे पहले सुरक्षा एजेंसियों से विचार-विमर्श करने की जरूरत बताई गई। उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों के शासन के दौरान तीन रेल मार्गों का निर्माण करवाया गया था।
यह मार्ग पंजाब के अटारी, राजस्थान के मुनाबाव और हिन्दुमलकोट होकर लाहौर, कराची और अन्य शहरों को जाते थे। विभाजन के बाद अटारी और मुनाबाव रेल मार्ग चालू हैं। लेकिन हिन्दुमलकोट मार्ग को बंद कर रेल पटरियों को उखाड़ दिया गया। उस समय के रेलवे स्टेशन के निशान आज भी मौजूद हैं, जिन्हें रेल प्रशासन के सहयोग से म्यूजियम के रूप में विकसित किया जा सकता है।
एग्रो टूरिज्म पर भी फोकस
बैठक में एग्रो टूरिज्म पर भी फोकस किया गया। इसमें किन्नू फेस्टिवल आयोजित करने पर सहमति बनी। बीकानेर में ऊंट फेस्टिवल के आयोजन के तुरंत बाद किन्नू फेस्टिवल का आयोजन होगा। इसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। कलक्टर ज्ञानाराम ने कहा कि पर्यटन के विकास के लिए बजट की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर-जयपुर के बीच हवाई सेवा शुरू होने से पर्यटन की संभावना बढ़ी है।