महिला चिकित्सक के अभाव में नियमित जांच, सिजेरियन प्रसव या अन्य जटिलताओं के लिए भारी भरकम फीस देकर निजी महिला चिकित्सकों के पास इलाज करवाने की मजबूरी है। इसके अलावा प्रति माह औसतन तीस प्रसूताओं को रेफर करना पड़ता है। चिकित्सालय प्रभारी व कार्यवाहक बीसीएमओ डॉ.नीरज अरोड़ा ने बताया कि गायनी की नियुक्ति के लिए उच्चाधिकारियों को प्रतिमाह अवगत करवाया जाता है। डॉ.अरोड़ा ने बताया कि करीब सौ-सवा सौ डिलीवरी केस प्रति माह रहते हैं। इनमें प्रति माह औसतन 30 प्रसूताओं को जिला मुख्यालय पर रेफर किया जाता है। वहीं प्रतिदिन करीब छह सौ मरीजों की ओपीडी रहती है।
‘ओटी’ को सर्जन का इंतजार…
जानकारी अनुसार राजकीय चिकित्सालय में शिशु रोग विशेषज्ञ पहले से ही नियुक्त हैं। जबकि फिजिशियन ने करीब दो माह पहले तथा एनस्थेसिया विशेषज्ञ ने तीन दिन पहले ही ज्वाइन किया है। सर्जन, गायनी व नेत्र रोग विशेषज्ञ का पद लंबे समय से रिक्त हैं। मेल नर्स प्रथम ग्रेड के स्वीकृत 6 में दो तथा मेल नर्स द्वितीय ग्रेड के 14 में से एक पद रिक्त है, वहीं लैब टेक्निशियन के दोनों पद रिक्त होने से संविदाकमिज़्यों के सहारे काम चलाया जा रहा है।
फोटो केप्शन – श्रीकरणपुर के राजकीय चिकित्सालय में प्रसूता की जांच करते नर्सिंगकर्मी।