कर्मकांड के जानकार लोगो की मानें तो स्मार्त और वैष्णव दो तरह की व्यवस्थाएं हैं ( Temples )। कुछ मंदिर स्मार्त परम्परा का अनुसरण करते हैं तथा वे शनिवार को ही अष्टमी मनाएंगे लेकिन अन्य मंदिर वैष्णव परम्परा के अनुसरण के कारण रविवार को उदय तिथि में अष्टमी को आधार मानते हुए इसी दिन जन्माष्टमी मनाएंगे ( Rajasthan news )।
कर्मकांड से जुड़े पंडित कृष्ण खंडेलवाल बताते हैं कि स्मार्त परम्परा के अनुसार शनिवार को ही जन्माष्टमी के व्रत रखे जाएंगे तथा इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी और झांकियां भी सजेंगी। व्रत आज रखिए, झांकियां कल सजेंगी
वहीं अरोड़वंश मंदिर से जुड़े पंडित दयाराम शास्त्री बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी वृंदावन का पर्व है तथा वृंदावन का अनुसरण करते हुए रविवार को झांकिया सजाई जाएंगी। ग्रहस्थ लोग चाहें तो शनिवार को व्रत रख सकते हैं।