डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने के लिए शुरू की गई राज्य सरकार की ‘क्लिक’ योजना शुरुआत के एक वर्ष बाद लगभग शट डाउन होती नजर आ रही है। योजना का उद्देश्य जिले के कक्षा छह से दस तक के राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना था।
इसके लिए स्कूल की कम्प्यूटर लैब में प्रशिक्षण दिया जाना था और प्रशिक्षकों की व्यवस्था राजस्थान नॉलेज सेंटर लिमिटेड (आरकेसीएल) से की जानी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब इसे प्रचार प्रसार का अभाव कहें या अधिकारियों की उदासीनता, लेकिन जिले के महज सात विद्यालयों में ही इस योजना के तहत कम्प्यूटर ‘बूट’ हो पाए। शेष ने इसे अभिभावकों की उदासीनता बताकर पल्ला झाड़ लिया और चमचमाती कम्प्यूटर लैब के बावजूद इस सशुल्क योजना का लाभ विद्यार्थी नहीं उठा पाए।
इन स्कूलों में शुरू होनी थी योजना
योजना ऐसे राजकीय माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल में शुरू होनी थी, जिनमें आईसीटी, भामाशाह, सांसद एवं विधायक क्षेत्रीय विकास योजना या विद्यालय विकास कोष के माध्यम से उपलब्ध कम्प्यूटर संसाधनों से युक्त लैब स्थापित है।
यह था योजना का उद्देश्य
योजना का मूल उद्देश्य डिजिटल इंडिया संकल्पना को साकार करते हुए राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को भावी डिजिटल युग की मांग के अनुरूप कौशल से सम्पन्न बनाना था। योजना के पीछे विद्यार्थियों को व्यवसाय की तकनीकी चुनौतियों से निपटने के योग्य बनाने का उद्देश्य था।
विद्यालय स्तर पर अकादमिक विषयवस्तु के ज्ञानार्जन के साथ समानान्तर रूप से कम्प्यूटर ज्ञान कौशल का विकास करना और व्यावसायिक दक्षता प्रदान करना योजना के उद्देश्यों में रखा गया। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आरकेसीएल के अधिकृत सूचना प्रौद्योगिकी ज्ञान केन्द्रों की ओर से प्रशिक्षण करवाने का उद्देश्य रखा गया था। योजना में शामिल सभी विद्यार्थियों को एक वर्ष के बाद आरकेसीएल से प्रमाण पत्र दिया जाना था।
अभिभावकों की रुचि नहीं
योजना जिले के सात स्कूलों में ही शुरू हुई है। इस बारे में हमने सभी विद्यालयों तक सूचना प्रेषित कर दी थी। इस संबंध में हुई बैठक में अधिकांश राजकीय विद्यालयों के प्रतिनिधियों ने योजना सशुल्क होने के कारण इसमें अभिभावकों के रुचि नहीं दिखाने की बात कही थी।
-अनिल स्वामी, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, रमसा