रामस्वरूप किसान 70 वर्ष की उम्र में कृषिकर्म के साथ साहित्यकर्म कर रहे हैं। वर्ष 2019 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से नवाजा गया। डॉ. सत्यनारायण सोनी भी राना केलिफोर्निया व राजस्थानी अकादमी सहित कई संस्थानों से पुरस्कृत हैं तथा रामस्वरूप किसान के साथ मिलकर राजस्थानी तिमाही पत्रिका कथेसर का संपादन करते हैं। सत्तर वर्षीय मेहरचंद धामू भी बढ़ईगिरी के साथ साहित्य सृजन में लगे हैं। रामेश्वर गोदारा ग्रामीण व विनोद स्वामी भी साहित्य साधना में जुटे हुए हैं। गांव के राजेराम बेनीवाल ने अंधविश्वास व पाखंड पर कटाक्ष तथा लोकजीवन को बिंबित करते करीब ढाई हजार दोहों का सृजन किया।
युवक थानेश शर्मा, अजय परलीका, राजेश स्वामी, प्रियंका चौधरी, संज्या बौद्ध, मुकेश मानव आदि राजस्थानी व हिंदी लेखन में सक्रिय हैं। वहीं युवा दीपक चौहान व कयूम खान संगीत के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। शिशपाल बेनीवाल सोशल मीडिया पर नई—नई कहानियां रचकर प्रस्तुत करते हैं। डिजिटल प्लेटफार्म पर सतपाल स्वामी तथा रामकुमार रोणजोगो के हास्य-व्यंग्य के वीडियो बड़े लोकप्रिय रहे हैं।