नोटबंदी के बाद से नहीं उबरा मार्केट
मार्केट संचालन करने वाले दुकानदार कहते हैं कि नोटबंदी के बाद से ही यह मार्केट उबरा नहीं है। कारण कि अब नकद खरीद-फरोख्त का काम कम हो रहा है। दूसरा वाहन निर्माता कंपनियां आसानी से फाइनेंस सुविधा मुहैया करवा रही है।
जगह बदलने से भी काम प्रभावित
मार्केट की जगह बदलने से भी काम प्रभावित हो रहा है। संडे मार्केट पांच साल पहले तक नेहरू पार्क के पास संचालित होता था। वहां स्कूल और कॉलेज संचालित होने के कारण प्रशासन ने इस अस्थायी मार्केट को सूरतगढ़ रोड पर शिफ्ट करवा दिया।
एेसे होती है वाहनों की खरीद-फरोख्त पुरानी बाइक या स्कूटर बेचने के इच्छुक इस मार्केट में अपना वाहन ले आते हैं। वे संबंधित ब्रोकर से सम्पर्क करते हैं। वाहन मार्केट में लगाने की एवज में ब्रोकर टोकन मनी लेकर रसीद देता है। इसके बाद वाहन खरीदने के इच्छुक लोगों से सम्पर्क किया जाता है। सौदा होने पर दोनों तरफ से तय राशि लेकर वाहन खरीदार को सुपुर्द कर दिया जाता है।
संडे मार्केट में आठ काउंटर लगते हैं। कई बार तो नवरात्र में श्राद्ध से कम काम रह जाता है। कारण कि बड़ी-बड़ी कंपनियां मामूली राशि लेकर नई बाइक दे देती है। इससे टैंट आदि का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
सूरज सनेजा, ब्रोकर , संडे मार्केट, श्रीगंगानगर
ठप जैसा है काम सप्ताह में छह दिन अपनी दुकान में काम करते हैं। कुछ मजदूरी बनने की आस में संडे मार्केट में स्टॉल लगा रहे हैं परन्तु अब काम ठप जैसा ही है। पांच साल पहले तक एक दिन में 20-25 गाडि़यों तक के सौदे हो जाते थे। अब दो-तीन पर सिमट गए हैं।
-गुरदीप बराड़, ब्रोकर , संडे मार्केट, श्रीगंगानगर