श्री गंगानगर

बिना पर्यावरणीय सुरक्षा सातवीं इकाई से उत्पादन की तैयारी

सूरतगढ़.

श्री गंगानगरJul 11, 2019 / 08:06 pm

jainarayan purohit

बिना पर्यावरणीय सुरक्षा सातवीं इकाई से उत्पादन की तैयारी

– पर्यावरण प्रेमियों ने की व्यवसायिक उत्पादन रोकने की मांग
सूरतगढ तापीय परियोजना में स्थापित 660-660 मेगावाट की सातवीं व आठवीं सुपर क्रिटिकल इकाइयों से करीब ढाई वर्ष की देरी के बाद अक्टूबर में बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा लेकिन पर्यावरण संरक्षण के नाम पर क्रिटिकल इकाई क्षेत्र में पौधरोपण ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। साथ ही जो भी पौधरोपण हुआ है। उन्हें भी पेड़ बनने में दो से तीन वर्ष लग जाएंगे।
सुपर क्रिटिकल इकाइयों के मुख्य अभियंता बीपी नागर ने बताया कि 660-660 मेगवाट क्षमता की नवनिर्मित सातवीं व आठवीं सुपर क्रिटिकल इकाइयों में से 660 मेगवाट की सातवीं इकाई की व्यवसायिक उत्पादन तिथि अक्टूबर में निर्धारित की गई है। इसके एक डेढ़ माह बाद 660 मेगावाट की आठवीं इकाई से भी बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।

नही लगाए पेड़, गाइड लाइन की अनदेखी
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार निर्माणाधीन सातवीं और आठवी इकाई के लिए अवाप्त भूमि के एक तिहाई भाग पर पेड़ पौधे लगाने अनिवार्य है। जिसके तहत सुपर क्रिटिकल इकाई परिसर में एक लाख पच्चीस हजार पौधे लगाए जाने है। सुपर क्रिटिकल इकाइयों सहित वर्तमान में उत्पादन कर रही इकाइयों से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान से बचने के लिए आसपास के गांवो में भी सघन पौधरोपण किया जाना अनिवार्य है।
हालांकि डेढ़ वर्ष पूर्व इकाइयों की चारदिवारी के आसपास छह हजार पौधे लगाये गए थे। लेकिन उनमें से ज्यादातर पौधे रखरखाव के अभाव में नष्ट हो गए हैं। जानकारों की माने तो अगले दो माह में सवा लाख पौधे लगाने संभव प्रतीत नहीं होते। इसके अलावा इनको पेड़ बनने में भी दो से तीन वर्ष लगना स्वाभाविक है। इस लिहाज से आगामी दो तीन वर्ष तक क्रिटिकल इकाइयों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की मार ग्रामीणों को झेलनी पड़ेगी।

भेल कर रहा है आनाकानी
निविदा शर्तों के अनुसार इकाइयों के निर्माण के साथ-साथ परियोजना परिसर में उद्यानों व लाखो पेड़ों को विकसित किया जाना था। अब जब दोनो इकाइयों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। मुख्य निर्माण कम्पनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड पेड़ लगाने में आनाकानी कर रही है। सुपर क्रिटिकल इकाइयों के मुख्य अभियंता बीपी नागर ने बताया कि इस संबंध में लगातार भेल को लिखा जा रहा है। इसी क्रम में 16 व 17 जुलाई को भेल के साथ मीटिंग भी निर्धारित की गई है। यदि भेल पौधारोपण नही करती है तो उनकी निविदा राशि से कटौती कर उत्पादन निगम अपने स्तर पर पौधरोपण करवाएगा।

बदल सकती है व्यवसायिक उत्पादन तिथि
जानकारी के अनुसार परियोजना के कोल हैंडलिंग प्लांट सहित इकाई के कई अन्य कार्य पूरे नही हुए हैं। इसके साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में व्यापक कदम नहीं उठाने के चलते सुपर क्रिटिकल इकाइयों की व्यवसायिक उत्पादन तिथि आगे खिसक सकती है। बुधवार को पर्यावरण प्रेमी जसवीरसिंह निज्जर ने जयपुर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर सुपर क्रिटिकल इकाइयों में पर्यावरण संरक्षण उपायों में बरती गई कोताही की शिकायत की है।
ज्ञापन में लिखा है कि निविदा शर्तो के अनुसार निर्माण कार्यों के साथ-साथ मुख्य निर्माण कम्पनी भेल को 1 लाख 70 हजार पौधे परियोजना परिसर में लगाने थे लेकिन पौधरोपण तो दूर निर्माण कार्यों के दौरान सैंकड़ों मरुस्थलीय वनस्पतियों व पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। इकाइयों से बिजली उत्पादन के दौरान जलने वाले कोयले व ऑयल से निकलने वाले धुंए से ग्रामीणों व जीव जंतुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ज्ञापन में पेड़ लगाने तक इकाइयों से व्यवसायिक उत्पादन पर रोक लगाने की मांग की गई है।

हर माह 100 करोड़ का नुकसान
वर्ष 2013 की 20 जून को शिलान्यास की गई 7 हजार 920 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली सातवीं इकाई से विद्युत उत्पादन का लक्ष्य सितम्बर 2016 और आठवी इकाई से विद्युत उत्पादन का लक्ष्य दिसम्बर 2016 निर्धारित किया गया था। इसके बाद जितने भी दिन विद्युत उत्पादन में देरी होती है उस पर प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये निर्माण अवधि ब्याज पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन को देय है। इस लिहाज से अब तक करीब 3500 करोड़ रुपये की ब्याज राशि इकाइयों की लागत में और जुड़ चुकी है।
 

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