श्री गंगानगर

आठ वर्षीय बालिका में पोलियो वायरस की आंशका होने पर हरकत में आई चिकित्सा टीम, लिए कई सैम्पल

– चिकित्सक ने किया इनकार, कमजोरी की वजह बताया कारण पन्द्रह दिन पहले हुआ था बुखार, दो सप्ताह से हाथ और पांव एकाएक मुडऩे लगे

श्री गंगानगरApr 07, 2018 / 08:15 pm

vikas meel

8 years old girl

श्रीगंगानगर.

जिला मुख्यालय पर अग्रसेननगर में एक परिवार की करीब आठ वर्षीय बालिका के हाथ-पांव सुन्न होने पर उसके शरीर में पोलियो वायरस की आशंका होने का दावा किया जा रहा है। यह सूचना जैसे ही मिली तो चिकित्सा विभाग की टीम सक्रिय हो गई। उसने इस बालिका के शरीर से कई सैम्पल लिए हैं। इन सैम्पल्स को जयपुर स्थित चिकित्सा निदेशालय भिजवाया जा रहा है।

 

अग्रसेनगर के ओमप्रकाश मित्तल की आठ वर्षीय तनु यहां सूरतगढ़ रोड पर नाइयांवाली स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्याल में तीसरी कक्षा की छात्रा है। करीब दो सप्ताह पहले बुखार होने पर हालत खराब रहने लगी थी। हाथ और पांव सुन्न होने लगे हैं। परिजनों का कहना है कि कभी कभी हाथ और पांव मुडऩे भी लगते हैं। पोलियो अभियान के शहरी क्षेत्र प्रभारी डॉ. संजय राठी ने पोलियो वायरस की आशंका के दावे को खारिज कर दिया। इस चिकित्सक का दावा था कि शरीर में कमजोरी की वजह से भी हड्डियों में सिकुडऩ जैसा वायरस सक्रिय होने लगता है। पोलियो वायरस ऐसे नहीं आते। उसमें हाथ और पांव में सूजन के साथ साथ हाथ और पांव मुडऩे लगते हैं। परिजनों की आशंका को देखते हुए इस बालिका के शरीर से कई टेस्ट लिए हंै और सैम्पल को जांच के लिए जयपुर भिजवाया जा रहा है।

 

वह रोटी पकाकर आती है, तब मिलती है बच्चों को रोटी

बालिका तनु का परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है। तनु की मां विद्यादेवी के कंधे पर परिवार के पालन की जिम्मेदारी है। यह महिला रिद्धि-सिद्धि एन्कलेव में कई घरों में रोटियां पकाती हैं। इसके एवज में मेहनतनामा मिलता है। उससे ही बच्चों का लालन पालन हो रहा है। परिवार में तनु के पिता ओमप्रकाश रंग रोगन का मिस्त्री है लेकिन वह कई दिनों से बेरोजगार है। तन्नू का भाई मोहित ग्यारहवीं कक्षा, बहन हिमानी पांचवीं कक्षा और एक छोटा भाई सुशील दूसरी कक्षा में पढ़ता है। सभी बच्चे नाइयांवाला स्थित सरकारी स्कूल के विद्यार्थी है।

 

यदि पोलियो पॉजीटिव तो फिर अभियान पर संदेह

सैम्पल में यदि बालिका तनु में पोलियो वायरस पॉजीटिव की रिपोर्ट आती है तो इलाके में संचालित पोलियो प्लस अभियान संदेह के घेरे में आ सकता है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मानें तो हर साल लाखों बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाई जाती है। इसके लिए जिलेभर के नर्सिंग कर्मियों, आशा सहयोगिनों और चिकित्सकों की ड्यूटियां भी लगाई जाती है। पूरे देश में करोड़ों रुपए का बजट इस अभियान को सफल बनाने के नाम पर फूंका जा रहा है। इसके बावजूद ऐसे रोगियों की पहचान होती है तो हमारे इलाके के चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग पर यह बड़ा प्रश्नचिह्न हो सकता है।

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