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सार-संभाल नहीं होने से पानी में बह गए दस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

locationश्री गंगानगरPublished: Jun 17, 2021 05:27:57 pm

Submitted by:

surender ojha

Ten water harvesting systems washed away in water due to lack of handling- नगर परिषद प्रशासन ने दो करोड़ से अधिक का खर्च किया था बजट.

सार-संभाल नहीं होने से पानी में बह गए दस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सार-संभाल नहीं होने से पानी में बह गए दस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

श्रीगंगानगर. नगर परिषद प्रशासन की ओर से सार संभाल नहीं होने का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। अधिक बरसात होने पर शहर की सड़कों पर पानी निकासी नहीं हो पाती। एेसे में तीन साल पहले नगर परिषद प्रशासन ने शहर के अलग अलग पन्द्रह स्थानों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कराया था।
यह सिस्टम उन स्थलों पर बनवाए गए जहां अधिक जल भराव होता है। लेकिन पिछले दो सालों में इन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की सार संभाल नहीं हो पाई। इस कारण ये चॉक हो गए। बरसात आने पर ये सिस्टम अब काम नहीं आते। इस संबंध में पत्रिका टीम ने कई स्थलों पर जाकर हकीकत जाने से ये रामभरोसे छोड़े हुए मिले।
कई जगह तो इन पर फेरोकवर लगाकर स्मारक तक बना दिया गया है। भगतसिंह पार्क जी ब्लॉक स्थित भगतसिंह पार्क में दस साल पहले भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया था। लेकिन यह चॉक हुआ तो नगर परिषद प्रशासन ने फिर से इसी स्थल को खोदकर वहां नया सिस्टम बनाया।
लेकिन यह सिस्टम भी अब बंद हो चुका है। नगर परिषद के कार्मिकों ने इस सिस्टम पर फेरोकवर तक रख दिए है। बरसात के दौरान भारी भरकम इन फेरो कवर को वापस कौन हटाएगा, यह प्रबंधन अभी नहीं किया गया है।
इस पार्क में रोजाना आने वाले लोगों का कहना है कि इस फेरो कवर से इस सिस्टम को बंद कर दिया गया है।
एल ब्लॉक स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय वाटिका में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम दो बार बनाया जा चुका है। दूसरी बार बने इस सिस्टम में कुछ सुधार किया गया है।
नगर परिषद सभापति करुणा चांडक के वार्ड में होने के कारण नगर परिषद प्रशासन ने वहां सिस्टम में बदलाव भी किए है। लेकिन यह कभी कभार ठीक रहता है। इसके अलावा सिस्टम में पानी डालने के लिए पाइप भी रखवाई गई है।
इधर, सुखाडि़या सर्किल स्थित रामलीला मैदान के आसपास जल भराव अधिक रहताहै। इस कारण नगर परिषद ने वहां दो सिस्टम बनाए थे।
लेकिन दोनों ही चॉक हो गए है। प्लास्टिक का कचरा अधिक आने के कारण इस सिस्टम की सफाई तक नहीं कराई गई है। यहां तक कि दो साल पहले तोड़ी गई दीवार की मरम्मत तक नहीं की है।
अधिक बरसात में यह सिस्टम भी शोपीस बनकर रह जाएगा। वहीं, सुखाडि़या सर्किल से सटे सुखाडि़या पार्क में तीन बार वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए है। यहां करीब पांच लाख से अधिक का बजट खर्च किया जा चुका है।
इनमें से एक सिस्टम काम करता है। रवीन्द्र पथ पर स्थित इस मटका चौक के पास बरसात के दौरान अधिक जल भराव रहता है। इसका स्थायी समाधान डालने के लिए नगर परिषद प्रशासन ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया था।
लेकिन प्लास्टिक और डिस्पोजल पानी में बहकर आने से यह सिस्टम भी चॉक हो चुका है। एन ब्लॉक स्थित इस इन्द्रा पार्क में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नामोनिशान मिट चुका है।

पहले इस पार्क की दीवार के साथ यह सिस्टम बनाया गया था। बरसात के दौरान इस पार्क के आसपास अधिक जल भराव होता है। लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने इस सिस्टम को सुधारने की बजाय वहां पक्का फर्श बनाकर दबा दिया।
इधर, नगर परिषद आयुक्त सचिन यादव का कहना है कि नगर परिषद की ओर से जल निकासी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए थे।
लेकिन अब इसकी सार संभाल किस आधार पर नहीं हुई है। इस संबंध में निर्माण शाखा के अभियंताओं से रिपोर्ट मांगी जाएगी। वहीं स्वास्थ्य अधिकारी को अवगत करवाएंगे कि इन सिस्टम को फिर से चालू कराने के लिए प्रयास शुरू किए जाएं।
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