scriptपट्टा बनाने से पहले सेटेलाइट सिस्टम से जांच | Testing with satellite system before making lease | Patrika News
श्री गंगानगर

पट्टा बनाने से पहले सेटेलाइट सिस्टम से जांच

सरकारी भूमि पर कब्जा जमाकर जनप्रतिनिधियों से दवाब डलवाकर पट्टे बनाने के खेल में रोकथाम लग गई है।

श्री गंगानगरApr 11, 2018 / 09:12 am

pawan uppal

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श्रीगंगानगर.

सरकारी भूमि पर कब्जा जमाकर जनप्रतिनिधियों से दवाब डलवाकर पट्टे बनाने के खेल में रोकथाम लग गई है। नगर परिषद प्रशासन ने एटीपी को अधिकृत कर पट्टे बनाने की फाइल में जांच रिपोर्ट अनिवार्य कर दी है। पट्टा बनाने की पत्रावलियों की जांच करने के लिए एटीपी ने सैटेलाइट सिस्टम से निगरानी रिपोर्ट निकलवाई है। इससे सिफारिश के आधार पर पट्टे बनाने के खेल को सैटेलाइट सिस्टम ने रोक दिया है।

इस सिस्टम में गूगल सर्च से लिंक कराया गया है, जैसे संबंधित भूखण्ड के बारे में लोकेशन को अपडेट किया गया तो यह खुलासा होने लगा कि संबंधित भूखण्ड गंदे पानी के लिए छोड़े गए गड्ढा क्षेत्र से सटा है। नगर परिषद प्रशासन ने अब यह तकनीक अब अपनाई है। पिछले डेढ़ दशक से आवेदक की फाइल के आधार पर ही ऑफिस में बैठकर जांच रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इसका फायदा भू माफिया ने जमकर उठाया है। पुरानी आबादी, बापूनगर, इंदिरा कॉलोनी और शुगर मिल गड्ढा क्षेत्र में करीब दो हजार से अधिक मकान बन चुके हैं।
इन कब्जाधारकों ने नगर परिषद की ओर से लगाए गए शिविरों का फायदा उठाते हुए अपने पट्टे बनवा लिए थे। अब सैटेलाइट सिस्टम पर जैसे ही इन पत्रावलियों की जांच की तो 70 फाइलों को रोक दिया गया है, इनमें अधिकांश कब्जाधारक हैं और वे गड्ढे की जमीन पर काबिज हैं।

पत्रावलियों पर अंकित किए कोड नम्बर
नगर परिषद में जब भी कोई अपने मकान या दुकान का पट्टा बनवाने के लिए आवेदन करता है तो उसकी फाइल पर सबसे पहले सैटेलाइट सिस्टम अपनाने के लिए कोड नम्बर अंकित किए जाते हैं। इस नम्बर पर जोन का कोडवर्ड होता है। एटीपी शाखा ने शहर को तीन जोन में बांट रखा है।
पहले जोन में पुरानी आबादी का क्षेत्र है तो दूसरे में ब्लॉक एरिया और तीसरे में जवाहरनगर क्षेत्र है। परिषद की भूमि विक्रय शाखा से यह पत्रावली एटीपी शाखा पहुंचती है तब इस पत्रावली पर अंकित नम्बर से लैपटॉप में गूगल पर सर्च कर यह देखा जाता है कि यह भूखण्ड किस क्षेत्र का है और उसके आसपास कोई सरकारी भूमि तो नहीं है। यदि ऐसी भूमि है तो उस पत्रावली पर पट्टा नहीं बनाने की टिप्पणी अंकित की जाती है।
पट्टे बनाने से पहले सैटेलाइट सिस्टम के माध्यम से संबंधित लोकेशन की जांच कराई जाती है कि संबंधित भूखण्ड गडढ़ा क्षेत्र में है या नहीं है। गडढ़ा क्षेत्र के आसपास कई मकान बन चुके है। उनको मालिकानाहक देने से पहले ऐसी जांच की प्रक्रिया अपनाई जाती तो सरकारी भूमि पर कब्जे की रोकथाम हो सकती थी।
– सुनीता चौधरी, आयुक्त
नगर परिषद

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