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शुक्र है अब पिटबुल डॉग्स की जगह ले रहे घोड़े…अब रुझान अश्वपालन की ओर

locationश्री गंगानगरPublished: Jul 27, 2021 11:20:35 pm

Submitted by:

Raj Singh

– – खेतों में रखवाली के लिए पाले जाते हैं पिटबुल डॉग,

शुक्र है अब पिटबुल डॉग्स की जगह ले रहे घोड़े...अब रुझान अश्वपालन की ओर

शुक्र है अब पिटबुल डॉग्स की जगह ले रहे घोड़े…अब रुझान अश्वपालन की ओर

श्रीगंगानगर. पंजाब से सटे श्रीगंगानगर जिले में जहां विभिन्न तरह की गाडिय़ों का शौक है, वहीं यहां के कुछ लोगों को अपने खेतों में खतरनाक नस्ल के शिकारी कुत्ते पिटबुल पालने का भी शौक चढ़ा। अब यह इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि जयपुर में 19 जुलाई को पिटबुल डॉग ने एक बच्चे पर जानलेवा हमला कर दिया था। इसके बाद इस नस्ल के पालने पर सवाल उठने लगे हैं। शुक्र है कि करीब एक साल से जिले में पिटबुल डॉग के प्रति क्रेज कम हुआ है और शौकीनों ने घोड़े पालना शुरू कर दिया है।

डॉग स्पेशलिस्ट डॉ. गोपाल अग्रवाल का कहना है कि पंजाब में कुछ बड़े किसान व अन्य लोग सबसे खतरनाक एवं शिकारी डॉग पिटबुल पालने का शौक रखते हैं। इनको खेतों में रखवाली के लिए पाला जाता है। पंजाब की संस्कृति के असर के कारण ही श्रीगंगानगर जिले में भी श्रीकरणपुर, पदमपुर व रायसिंहनगर व शहर के आसपास कुछ लोगों ने पिटबुल नस्ल के कुत्ते पाल रखे हैं। जिले में इनकी संख्या करीब 40 बताई जा रही है।

इसलिए है खतरनाक
डॉक्टर बताते हैं कि इस नस्ल के कुत्तों के जबड़े बड़े मजबूत होते हैं। यह जानवारों पर हमला कर देता है और एक बार पकडऩे के बाद इससे छुड़ा पाना मुश्किल है। चिकित्सकों की राय है कि पिटबुल नहीं पाला जाए। यह कभी भी खतरनाक हो सकता है। कई देशों में पिटबुल डॉग पालने पर पाबंदी है।

पिटबुल की जगह ले रहे घोड़े
– नेहरू पार्क के समीप स्थित पेट शॉप के मालिक साहिल सेतिया ने बताया कि पंजाब में शौकीन लोग पिटबुल डॉग पालते हैं और जिले में भी लोगों ने यह पाल रखे हैं। पहले इनकी फाइट कराई जाती थी। पंजाब में इनकी बिक्री नहीं हो रही।
इसके चलते यहां भी असर पड़ा है। अब जिले में इस डॉग को पालने वालों की संख्या कम रह गई है। पिछले एक साल से पिटबुल का कोई खरीदार भी संपर्क में नहीं आया। जो लोग पहले जिले में पिटबुल डॉग पालते थे, उन्होंने अब इसको बदल दिया है। ऐसे लोग अब घोड़ों की ब्रिडिंग पर ध्यान दे रहे हैं।
उन्होंने अपने फॉर्म हाउस व खेतों में घोड़े पालना शुरू कर दिया है। चक 11 एलएल में भी एक किसान की ओर से पिटबुल डॉग के बाद घोड़ों की ब्रिडिंग का कार्य शुरू किया गया है। कुछ अन्य किसानों की ओर से भी घोड़े पालने संबंधी जानकारी मिली है।

तब डॉग शो में पहुंचे थे पिटबुल
– बीकानेर में कुछ समय पहले हुए डॉग शो में हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले तथा पंजाब इलाके से पचास-साठ पिटबुल डॉग्स पहुंचे थे। जहां पिटबुल डॉग्स को शो में शामिल नहीं किया गया था। इनकी फाइट कराई जाती है और जो कई बार जीतता है, उसकी रेट भी उसी हिसाब से ज्यादा होते हैं।
इनका कहना है
– जिले में अब तकरीबन 150 पिटबुल डॉग्स हो सकते हैं। कुछ साल पहले इनकी संख्या अधिक थी। अब जो हैं, वे ज्यादातर ग्रामीण इलाके में फार्म हाउस या खेतों में है। अब पिटबुल के बजाय लोगों ने घोड़ों की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है। पिछले दो साल में घोड़े रखने व उनकी ब्रिडिंग करने का क्रेज देखा जा रहा है।
डॉ. अरुण लीला, पशु चिकित्सा विभाग श्रीगंगानगर
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