scriptजैविक खेती में इसीलिए रुचि नहीं लेते किसान! | That's why farmers do not take interest in organic farming | Patrika News

जैविक खेती में इसीलिए रुचि नहीं लेते किसान!

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 20, 2021 01:51:00 am

Submitted by:

yogesh tiiwari

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग की प्रमुख वजह ज्यादा उत्पादन है। इसी वजह से किसान जैविक खेती में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते। जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में जैविक खेती के प्रति माहौल नहीं बन गया है। भूमि का जैविक कार्बन स्तर बढ़ाने के लिए किसानों को रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खादों जैसे सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट व हरी खाद आदि का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि भूमि में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पौधों तक नहीं पहुंच प

जैविक खेती में इसीलिए रुचि नहीं लेते किसान!

जैविक खेती में इसीलिए रुचि नहीं लेते किसान!

जैविक खेती की शुरुआत में होता है उत्पादन कम
पत्रिका न्यू•ा नेटवर्क
श्रीगंगानगर. रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग की प्रमुख वजह ज्यादा उत्पादन है। इसी वजह से किसान जैविक खेती में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते। जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में जैविक खेती के प्रति माहौल नहीं बन गया है। भूमि का जैविक कार्बन स्तर बढ़ाने के लिए किसानों को रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खादों जैसे सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट व हरी खाद आदि का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि भूमि में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पौधों तक नहीं पहुंच पाता। जैविक खेती में दो तीन साल उत्पादन कम होना भी बड़ी वजह है। इस कारण किसान जैविक खेती अपनाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते।
&जैविक खेती करने पर तीन-चार साल तक जमीन से उत्पादन कम होता है। किसान इसे सहन नहीं कर सकता। इसलिए किसान बहुत कम मात्रा में जैविक खेती करता है। हालांकि किसान दो-तीन दिन बीघा में खुद के खाने के लिए जैविक गेहूं का उत्पादन करता है।
डॉ.जीआर मटोरिया, संयुक्त निदेशक,कृषि विभाग,श्रीगंगानगर।
&जैविक खेती से पहले भूमि में जैविक पदार्थ विकसित करना जरूरी होता है। आनन-फानन में यदि जैविक खेती शुरू करते हैं तो दो-तीन बरस में ही उत्पादन घट जाता है। इसलिए किसान जैविक खेती को नहीं अपना पाते। भूमि में सूक्ष्म जीव जब तक विकसित नहीं होंगे, जैविक खेती कामयाब नहीं होगी।
साहबराम गोदारा, उप परियोजना निदेशक, आत्मा प्रोजेक्ट, कृषि विभाग हनुमानगढ़
हनुमानगढ़ :
जिले में रबी व खरीफ सीजन में बिजाई
वर्ष खरीफ रबी
2016-17 665170 480297
2017-8 687940 432130
2018-19 615403 562930
2019-20 715250 610140
2020-2021 750030 570350
नोट: बिजाई के आंकड़े को हेक्टैयर में समझें।
श्रीगंगानगर :
फसल बुवाई का क्षेत्रफल (हेक्टेयर)
वर्ष खरीफ रबी
2016-17 575474 635343
2017-18 583490 641568
2018-19 660201 652346
2019-20 609611 712552
2020-21 590776 689171
हनुमानगढ़ जिले में रबी सीजन में खाद की खपत
वर्ष यूरिया डीएपी एसएसपी एमओपी एनपीके
2016-17 83800 28700 14500 180 700
2017-18 71339 29357 16352 210 790
2018-19 84300 28406 23000 170 1080
2019-20 87680 33850 15240 215 870
2020-21 87052 33608 15131 213 864
हनुमानगढ़ जिले में खरीफ सीजन में खाद की खपत
वर्ष यूरिया डीएपी एसएसपी एमओपी एनपीके
2016 72200 30100 14600 8100 3700
2017 79800 30700 18500 8700 3600
2018 76400 27800 21200 8720 4500
2019 88795 32710 24639 10134 5230
2020 88000 29000 25500 10500 5500
नोट: खाद की खपत को एमटी में समझें।
खरीफ में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग (मैट्रिक टन में)
क्रम वर्ष यूरिया डीएपी एसएसपी एमओपी एनपीके
01. 2016-17 35000 20700 16340 100 86
02. 2017-18 34505 17110 13850 98 196
03. 2018-19 39000 15400 15700 120 184
04. 2019-20 46400 28556 17250 298 2300
05. 2020-21 46050 28230 20700 720 2580
रबी में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग (मैट्रिक टन में)
क्रम वर्ष यूरिया डीएपी एसएसपी एमओपी एनपीके
01. 2016-17 79100 28500 35350 275 2000
02. 2017-18 127500 27980 32760 250 1250
03. 2018-19 133024 31100 32500 515 1050
04. 2019-20 135712 28249 24420 312 2150
05. 2020-21 131220 30250 24250 388 1900

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